काल निरंतर प्रवाह अटल




बुझते दीप से जीवन मे 

नव जीवन संचार करा दे

बुझते दीपक कि लौ का

प्रज्वलित मशाल अटल है।।


अटल विश्वाश है ऐसा

अंधेरे मन में आशाओं

का उजियार जगा दे।।


बट बटेश्वर वंश परंपरा 

पावन माटी ग्वालियर का

मान बढ़ा दे शिक्षा दीक्षा 

शास्त्र ज्ञान पंडित का मर्म

अटल है।।


संवेदना जन मन कि

स्वंय सिद्ध का पथ बना दे

कर्म धर्म जन सेवा 

राष्ट्र चेतना वाणी वेदना

काल समय कि चाल अटल है।।


अटल सत्य जगत में

मानवता कि ज्योति अटल है

काल समय श्रृंगार अटल है

भय भ्रम संसय का शांत अंत 

अटल है।।


चेतन  वैराग्य अटल है

संस्कृति व्यवहार अटल 

जागृत जीवन अविरल अविराम

अटल है।।


आत्म बोध चैतन्य सत्ता का

आत्म बोध बिहार अटल है

सुख दुःख जन मन का जीवन

अंतर्मन पुकार अटल है।।


भावो को लिख पाना

व्यक्त शब्दों में कर पाना असंभव

युग काल नित्य निरंतर प्रवाह अटल है।।




नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।



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