हिंदी भवन में प्रियांजलि का सम्मान
मिले
सम्मान जन-जन से राष्ट्रभाषा बने हिंदी
भोपाल।
निर्भया साहित्यिक, सामाजिक महिला कल्याण संस्थान द्वारा हिंदी भवन में कवयित्री
डॉ. प्रियंका ‘प्रियांजलि’ को निर्भया साहित्य सम्मान से विभूषित किया गया। इस
अवसर पर एक काव्य गोष्ठी भी आयोजित की गई। कवियों ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में
कविता पाठ किया। राजधानी के वरिष्ठ और नए रचनाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी। देवनागरी
हिन्दी भाषा सम्वर्धन एवम् शोध सन्स्थान्, साहित्य साधना मंच सीहोर, शब्दाक्षर
जिला इकाई भोपाल, आरिणी चेरिटेबल फाउण्डेशन सहित कई साहित्यकारों, मित्रों,
परिचितों ने डॉ. प्रियंका प्रियांजलि को बधाई दी।
कवयित्री
प्रमिला ‘‘मीता’’ ने बताया कि प्रत्येक माह संस्थान द्वारा कम-से-कम एक महिला
कवयित्री को सम्मानित किया जाता है, उसी क्रम में डॉ. प्रियंका प्रियांजलि की
साहित्यिक उपलब्धियों, व्यक्तित्व और कृतित्व को देखते हुए भादौ मास का निर्भया
साहित्य सम्मान उन्हें प्रदान किया जा रहा है।
किसने
क्या पढ़ा:-
1
अभिव्यक्ति
का माध्यम, मुख का प्रथम स्वर हो तुम
हिंद
देश का मान, एक सहस्त्र का इतिहास हो तुम
-डॉ. प्रियंका श्री ‘‘प्रियांजलि’’
2
सात
सुरों के सप्तक-सा है जीवन का मधुरम गान
सुख-दुःख
की इक पुस्तक-सा है जीवन का अरमान
- प्रमिला ‘‘मीता’’
3
मुझे
मेरे हिस्से की जमीन तो दे दो पापा
बोन्साई
न बनाओ, मैं आसमान बनकर दिखाऊंगा
- कवि राजेश
4
इक
दिन पापा ने बेटी को समझाया
कैसे
दूरियों में जीना है, सब बतलाया
-रामकिशोर कवि
5
कभी
पराए दीप से मिलता नहीं प्रकाश
निज
भाषा को मान दो, छू लो ये आकाश
-प्रतिभाजी
6
उमड़ते
भावों की अविराम अभिलाषा बने हिंदी
सिंदूरी
रंग लेकर के सजे मॉं भाल पर हिंदी
निराला
और दिनकर के स्वप्न साकार हो जाएं
मिले
सम्मान जन-जन से राष्ट्रभाषा बने हिंदी
- रश्मि कवयित्री
7
जिंदगी
हूंॅ मुस्कुराना चाहती हॅूं।
तेरी
याद में डूब जाना चाहती हूॅं।
-अभिलाषा श्री
8
अगर
जरूरी है तो जाना जरूरी है
पलटकर
अपने ही घर में आना जरूरी है।
- आबिद काजमी
9
हमारी
कल्पना के लोक का विस्तार है हिंदी
हमारी
हर विषमता का सहज विस्तार है हिंदी
-दिनेश कवि
10
तुमसे
मिलके जिंदगी कितनी सुहानी हो गई,
थोड़ी-सी
की बात तो एक कहानी हो गई।
- कवि सुरेश जी
11
तुम
चले आओ तो जहां में गीत गूंजेगा
कलम
बंद भी बोलेगा, मन में गीत गूंजेगा
- चंद्रभान