सब के जीवन में आता हे प्रेम का यह खेल

 



सब के जीवन में आता हे प्रेम का यह खेल

 जानिए प्रेम की पाठशाला में आप पास हे या फेल



                                                   लेखक- प्रतिक संघवी राजकोट गुजरात 


( भाग 1 )


> जीवन में सबको एकबार होता है क्या वही प्रेम हे।


> क्या देखकर करना चाहिए प्रेम और आप क्या देखते हो।


> क्या प्रेम से भी बढ़कर इस दुनियामे कोई हे।


> आज कल के प्रेम की ज्यादातर कहानी एसो आराम वाली जिंदगी ही होती है।


> क्या आजकी पीढ़ी बहुत प्रेक्टिकल बन गई है यह सही या गलत ।


> माता पिता , भाई बहन और देश के प्रेम का क्या?!


> क्या आपके जीवन में है कोई प्रेम का मार्गदर्शक नही तो आज ही बनाए।


आज का जो विषय है वो बहुत पेचीदा विषय है । और प्रेम एक ऐसी परिभाषा हे जो हर एक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग माइने रखती हे और हरेक के जीवन को कही न कही एक अजीब बंधन से जोड़ती है। और ज्यादातर लोग यही समझते है की जो युवावस्था में हुवा या होगा वही प्रेम हे और उसके लिए हम कुछ भी कर लेंगे पर अपने प्रेम को पाकर ही दम लेंगे। तो यह प्रेम की सिर्फ एक नन्ही सी पहचान है दोस्तो यह असल में प्रेम हे ही नही!?

क्योंकि अमीर खुसरो ने लिखा हे की

खुसरो दरिया प्रेम का उल्टी जिसकी धार

जो उतरा सो डूब गया जो डूबा सो पार 

यानी की यह प्रेम होने के बाद तो आप रीयल में आपके प्रेम की चुनौतियों में छलांग लगाते हो और सही में संघर्ष तो अब चालू होंगा । लेकिन यह खास जरूरी है की अगर आपको अपने प्रेम की परिभाषा को सही से जानना है तो आपको यह जानना पड़ेगा और सोचना होगा के आपको प्रेम क्या देखकर हुआ था। अगर जिस्म , पैसे , अयासी , या किसी की जलन के सामने किया गया प्रेम चलता तो है लेकिन टिकता नहीं हे। और ज्यादातर ऐसे प्रेम में ही धोखे की संभावनाएं बढ़ जाती है। अगर आपको प्रेम में एक दूसरे के प्रति आदर , त्याग और सहन शक्ति की भावना है तो ही आप समाजिक जीवन में भी आपके प्रेम को रख सकते हो और उसमें आप संपूर्ण तह सफल हो सकते हो लेकिन यह आपके और आपके पार्टनर के बीच का एक ऐसा सामाजिक टेस्ट हे जिसका हर प्रेमी को कही न कही डर रहता हे। और यही चीज का प्लान न करने से या तो आपका प्यार , या आप  कोईभी अयोग्य दिशा में चले जाते हो और अंत में वह आपके प्रेम को समाज में गुन्हेगार साबित कर देती है। ऐसे हजारों किस्से सभी जगह उपलब्ध है जहा प्रेमी का, उसके भाई का , उसके माता पिता का यह कोई अन्य का कत्ल हो गया हो और कोई भी अपना प्रेम पाने से पहले जेल चला गया हो। बाद में सिर्फ और सिर्फ अफसोस के अलावा कुछ नही रहता हे। तो क्या आप जब भी प्रेम करेंगे तब यह चीजे समझकर करेंगे या यह सोचकर प्रेम करते हो!?अगर नहीं तो आपको प्रेम के हर एक स्टेप में सावधानी रखनी होंगी वरना जीतना ऊंचा जाओगे उतने ही ऊंचे से गीरोंगे। लेकिन क्या सिर्फ प्रेम ही सबकुछ है।


अगर प्रेम ही सबकुछ हे तो प्रेम के साथ ही आपका जीवन भी समाप्त लेकिन अगर प्रेम से बढ़कर भी कुछ हे तो वह है त्याग!? जो जितना बड़ा त्याग कर सकेगा उसे उतना बड़ा प्रेम मिलेंगा यह एक कर्म के सिद्धांत वाली चीज हैं। जो सिर्फ 1 या 2 लोगो के जीवन मे ही आती है या वही इससे रूबरू होते है।

लेकिन आजकल में देख रहा हु कॉलेजों और अब तो स्कूलों में भी प्रेम की परिभाषा थोड़ी बदल सी गई है। यह देखते है की लड़का पैसे वाला हे या लड़की पेसेवाली हे हम मोज मजा करते रहेंगे और जिंदगी बिताएंगे। या तो लड़के या लड़की के मां बाप को पैसे की कोई कमी नहीं हे बस हमे मोज मजे ही करने हे। यह एक सोच और दूसरी प्रेम हे यंग हे और हवस हे बस उसको शांत करो बाकी का बाद में देखलेंगे। और ऐसी सोचवाले ज्यादातर युवक और युवतियां आज नशे की लत में चलें गए हे क्योंकि वह प्रेम की परिभाषा ही नहीं थी। वह सिर्फ मोज सोख और हवस की परिभाषा थी जिसमे तो पात्र भी बदलते रहते हे और इसके लिए आपको समाजिक जीवन से दूर हो कर असमाजिक तत्वों का सहारा लेकर नशे या तो मगज को तैयार करने की वजह लेनी पड़ती है और आपका प्रेम जो दिखावा था उसको आप समझ ही न सको और आप अपनी ही धुन में मस्त रहो ऐसे जीवन की परिकल्पना मैं आप समय व्यतीत करते हो। लेकिन आपको पता है यह चीज या ऐसी मान्यता सिर्फ आपके जीवनी के 10 या 15 साल कम करती है टिकती नही।। लेकिन फिर भी आजकी पीढ़ी वाकई में बहुत प्रेक्टिकल बन गई है। जिसमे सॉर्ट टर्म के फायदे तो जरूर हे लेकिन लॉन्ग टर्म में नुकसान होने की भी पूरी संभावना है।

फिरभी में आज एक बात पूछूंगा की अगर आपके लिए जवानी में किया गया आपका प्रेम ही सब कुछ हे । और उसके लिए आप कुछ भी कर गुजरेंगे तो रुक जाइए। आपने अपने मां बाप को भी प्रेम किया होंगा और मन ही मन उसको भी वचन दिया होंगा। क्या आप देश से भी प्रेम नही करते, क्या धर्म में प्रेम सामिल नही हे। और कोन सी किताबो में लिखा है यह सारे प्रेम को ठुकराकर सिर्फ एक ही प्रेम जो जवानी में जोश के साथ किया है उसको पाना चाहिए। इसीलिए हम कहते हे की


पोथी पढकर जग मुआ , पंडित भया न कोय।

ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय।।


अगर आप को किसी भी विषय में पारंगत होना हे तो आपके जीवन में उस विषय के पारंगत व्यक्ति की जरूरत होगी। जो टाइम पे आपको समझा सके। जिसे आप अपनी सारी हकीकत बयां कर सके और वह आपको तर्क बद्ध आयोजन करके आपको इस मुकाम तक पहुंचा सके जहा आप और आपका प्रेमी जाना चाहता है। और यह व्यक्ति या मार्गदर्शक आपको आपके मित्रो में से ही ढूंढना चाहिए क्यों में आपको जीवन के सही वाक्यों में और सत्य से भरी हुई कहानी के साथ अगले पार्ट या लेख में बताऊंगा तब तक के लिए,

प्यार बाटे, प्यार करे क्योंकि

सच्चे प्यार की सारे जहा में कदर होंगी।

और अगर नही हुई तो तेरे प्यार में कोई कसर होंगी।


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