‘‘भारतीय भाषाओं में जल संरक्षणः प्रबंधन एवं महत्व’’



आज दिनांक 18.07.2024 को भाषा विभाग उ0 प्र0 शासन के नियंत्रणाधीन उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, द्वारा भू जल संरक्षण सप्ताह के उपलक्ष्य में संगोष्ठी का आयोंजन किया संस्थान ने भारतीय भाषाओं में जल संरक्षणः प्रबंधन एवं महत्व विषयक गोष्ठी का आयोजन निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव जी की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण नंद राय ने कहा कि आज विश्व के तमाम देश जल संकट से जूझ रहे है। पेय जल की कमी हो रही है। यदि हम आज सचेत नहीं हुए तो आने वाली पीढ़िया पीने के पानी के लिए तरस जाएगी और अनेक बीमारियों से ग्रस्त होंगे। हमें इसके प्रभावी उपाय सोचने होंगे।

 विशिष्ट अतिथि डा0 अर्चना सिंह ने कहा कि जल और जीवन का अटूट सम्बन्ध है। वर्तमान परिदृश्य अत्यंत भयावह स्थिति में पहुँच चुका है इसकेे भीषण परिणाम भुगतने पड़ेगे। हमारी संस्कृति एवं भारतीय साहित्य में जल सदैव से ही क्रेन्दीय भूमिका में रहा है। जल संरक्षण के लिए हमारे देश में प्राचीन काल से ही तालाब, झरने, कुएं, बावडी, झालर जोहड़, झीलें आदि बनवाये जाते थे। जो जल की आपूर्ति को पूर्ण करते थे और भूगर्भ जल जल को परिपूर्ण रखते थे। अतः हमें इन तरीकों को पुनः अपनाने की आवश्यकता है।


 डा0 मयंक मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारी संस्कृति में पुरातन काल से ही जल संरक्षण संवर्धन के व्यापक साक्ष्य पुरातात्विक साक्ष्यों एवं साहित्यिक साक्ष्यों के रूप में श्रुतियों में दृष्टिगोचर होते है। जलमेव जीवनम्’’ (जल ही जीवन है) मां आपो हिंसी (जल को नष्ट मत करो) आदि उद्धरण देखने को मिलते है। 

‘‘जल संरक्षण का सदा मानव करो प्रयास, वर्ना कभी भविष्य में नहीं बुझेगी प्यास।

निदेशक श्री विनय श्रीवास्तव जी ने अपने अध्यक्षीय वक्ताओं में कहा कि आज की गोष्ठी की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम पर्यावरण के प्रति कितना सजग होते है। यह हमारा पर्यावरण के प्रति किए गए कार्यो का फल कारी आने वाली सन्तानों को भुगतना पड़ेगा। इसलिए भी जरूरी है कि हम प्रकृति की सुरक्षा करें पेड़ लगाए और भू-जल संरक्षण के लिए सार्थक प्रयत्न करें। 

कार्यक्रम का संचालन डा0 रश्मि शील जी ने किया और भाषा संस्थान की प्रभारी श्रीमती अंजू सिंह द्वारा इस कार्यक्रम में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की। इस अवसर पर अंजू सिंह, दिनेश मिश्र, मीना सिंह, हर्ष राज अग्निहोत्री, रवि, ब्रजेश, प्रियंका टण्डन, सोनी,  शशि, आदि अनेक साहित्कार, विद्वान व इंदिरा भवन में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहंे।

उपस्थित विद्वानों, श्रोताओं द्वारा कार्यक्रम की भूरि भूरि प्रशंसा की गई।



इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?