“झूठी माँ”
“झूठी माँ”
शिवराम का जन्म एक सरल संस्कारी और सम्पन्न परिवार में हुआ
| बाल्यावस्था से होते हुए किशोरावस्था के मार्ग से युवावस्था को प्राप्त शिवराम
का विवाह सुशीला से हुआ | नाम के गुण जन्म से ही सुशीला में थे | सुशीला स्वभाव से
शीलवती, संस्कारी, पतिव्रता, कर्तव्यपरायण और अपनी मर्यादाओं की लक्ष्मण रेखा में
जीवन जीती थी | शिवराम और सुशीला स्नेहपूर्वक रहते थे और उनको एक बेटा हुआ जिसका
नाम भोला रखा | भोला माँ की गोद में स्वर्ग के सुख को पाता और पिता के लाड प्यार
में जीवन की सुखानुभूति पाता था | भोला ७ वर्ष का हुआ और एकाएक उसकी माँ सुशीला चल
बसी | सुखों का सूर्यास्त हुआ और दुखों ने पड़ाव डाला |
दिन बीते रातें बीती आयी काली रात |
कालचक्र ने चक्र चलाया आयी
अमावस रात ||
दुखों की ऐसी आंधी आयी मानो शिवराम और भोला
अनाथ हो गए | कुछ पखवाड़े बीते और शिवराम ने भोला को माँ का प्यार मिले इसलिए फिर
से विवाह किया और शिवराम पत्नी “मोहिनी” को घर लाया | भोला माँ कहता और माँ मानता
परन्तु मोहिनी स्वभाव की कठोर, तेज तर्रार और क्रोधी थी | मोहिनी को भी एक बेटा
हुआ | मोहिनी भोला को कभी डांटती, पीटती, फटकारती, झाड़ू-पोछा लगवाती, बर्तन
धुलवाती, घर के सारे काम करवाती, बाँसीखाना खिलाती, और कभी कभी तो उसको रात-रात भर
उसे घर से बाहर भी निकाल देती | शिवराम धन कमाते-कमाते धनपिशाच हो गया और भोला की
जिम्मेदारियाँ भूल-सा गया | अब भोला न पढ़ता, न लिखता, न जीवन जीता बस घर का
नौकर-सा बन गया था |
कुछ दिनों के बाद मोहिनी अपने पीहर गई | भोला
और शिवराम घर में अकेले थे | किसी रात शिवराम और भोला साथ में खाना खाने बैठे और खाते-खाते
शिवराम ने भोला से पूछा :- बेटा ! तेरी नयी माँ कैसी हैं ? तुझे ठीक से तो रखती
हैं न? तेरा ख्याल ठीक से रखती है की नहीं ? तुझे किसी चीज़ की कमी तो नही है न?
कभी तुझे सुशीला की कमी तो महसूस नहीं होती न ?
भोला बोला : पिताजी ! नयी माँ, मेरी माँ से ज्यादा अच्छी हैं | मुझे हर काम
सिखाती हैं | झाड़ू, पोछा, बर्तन सब ठीक से करना सिखाती हैं | डांट-पीटकर अपना
प्यार जताती हैं और पिताजी ! सबसे अच्छी बात तो ये हैं कि कभी झूठ नहीं बोलती हैं
? मेरी जन्म देने वाली माँ बड़ी झूठी थी | अपने बेटे की बात सुन दुखी हुआ और आर्द्रस्वर
में पूछने लगा- बेटा ! क्यों - कैसे झूठी थी?
भोला बोला :-पिताजी मेरी माँ जब गलती होने पर डांटती तो कहती थी “आज तुझे खाना
नहीं दूंगी और बाद में खाना देती थी“ | नई माँ जो कहती हैं वह जरूर करती हैं |
मेरी माँ कहती “आज तेरी पिटाई
करुँगी और बाद में नहीं करती थी” | नई माँ जो कहती है वह जरूर करती हैं |
मेरी माँ कहती की “ठण्ड में
तुझे बाहर सुलाऊँगी और बाद में खुद अपने आँचल में सुलाती थी” | नई माँ जो कहती हैं
वह जरुर करती हैं |
पिताजी ! मेरी माँ झूठी थी, नई माँ सच्ची, सच बोलती हैं, जो कहती है वह जरुर
करती हैं |
माँ जिसकी
जाती हैं, लौटकर कभी नहीं आती हैं,
बच्चों को याद सताती हैं, माँ तु लौटकर क्यों
नहीं आती हैं ?
जब माँ की
ममता जाती हैं, तब दुनिया रास नहीं आती हैं,
जीवन की नैया डूब जाती हैं, जब माँ हमें
छोड़ जाती हैं |
डॉ. कपिल जानी
असिस्टेंट प्रोफेसर
डिपार्टमेंट ऑफ़ संहिता सिद्धांत
K J Institute of आयुर्वेद and रिसर्च सावली वड़ोदरा
निवास - वल्लभ विद्यानगर , आनंद