व्यास (गुरु)पूर्णिमा



पृथ्वी पर 23 1/2अक्षांश व्यास अर्थात 360' रेखांश पर सायन करके रवि अर्थात सूर्य के दक्षिणायन होने पर दिनमान किसी एक रेखांश पर दिनमान की लंबाई वर्ष भर में सबसे अधिक और 360 अंशों पर दिनमान व्यास सबसे बड़ा होता है यह दिनमान प्रत्येक वर्ष 22 जून को होता है इसके आगे आने वाली पूर्णिमा जो सायन कर्क  अंतर्गत होती है इस पूर्णिमा का व्यास भी सबसे बड़ा (गुरु) होता है गुरु का अर्थ भी बड़ा होता है अतः निर्णयन मिथुने रवि की अमावस्या से 180 अंश पर आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा व्यास बड़ा होने पर यह व्यास और गुरु पूर्णिमा नाम से पर्व होता है।
 यह स्मरणीय है कि सनातन (हिंदू )धर्म अंतर्गत सभी पर्व, व्रत ,उत्सव ,संस्कार ,यज्ञ अत्याधिक संक्रांति ,तिथि, नक्षत्र ,योग ,पक्ष, मास, बार लक्षित सभी उपासनाए, त्यौहार , आकाशीय ,ग्रह ,नक्षत्र ,गोचर गति, आश्रित स्पष्ट होकर ही संपन्न होते हैं सूर्य चंद्र ग्रहण जैसे पर्व भारतीय संस्कृति ज्ञान विज्ञान के साक्षी अति प्राचीन विशेषण है नारद पुराण अंतर्गत ग्रहण गणित (स्कंध) प्रमाण है भारत के आदि ज्ञान प्रतीक ऋग्वेद को चार भागों में व्यास जी ने विभाजित (रिक, यजु शाम अथर्व )किया है ।इसलिए ज्ञान गुरु को रूप में व्यास जन्म पूर्णिमा को व्यास (गुरु )पूर्णिमा भी निहितार्थ है भारत में भगवान श्रीराम श्रीकृष्ण अब तारों ने भी अपने अपने गुरु भगवान की पूजा कर गुरु की महान मर्यादा स्थापित की है ।
पंडित कैलाश पति
अक्षर पीठ
9425132348

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