शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस 🌹 विजय टेंग
ईश्वर ने हमें जीवन दिया, माता पिता ने हमारा पालन-पोषण किया ,संस्कारित किया, परिवार से निकलकर हम समाज में आए।
एक विशाल वृक्ष के लिए पहला पायदान छोटी सी धारा का टुकड़ा और श्रेष्ठ बीज चाहिए। परंतु विशाल वृक्ष तभी पनपता है ,जब उसे शुद्ध पर्यावरण और खुला दायरा मिलता है
इसी विशालता के लिए हम परिवार से निकलकर पाठशाला पहुंच जाते हैं जहां हमें समय और जीवन जीने के युद्ध के लिए शनै: शनै : तैयार किया जाता है ,अब हमें एक होनहार कुंभकार की आवश्यकता होती है जो ठोक ठोक कर एक कुंभ को एक सुंदर कलश का रूप देता है इसी कुंभकार को शिक्षक कहते हैं।
यह कुंभकार देखने में एक साधारण व्यक्ति होता है परंतु चरित्र कलाकार का होता है। भाग्य से जब विद्यार्थी को एक अच्छा शिक्षक मिलता है ,तो वह ज्ञान पाकर आसमान छू लेता है। सफल शिक्षक वही होता है जिसमें जिसमे धैर्य, ज्ञान, अनुशासन ,दयालुता तथा परोपकार का गुण होता है। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय में भी एक कामकाजी व्यस्त मां बाप बच्चों को शिक्षित करने के लिए ज्यादा चिंतित रहते हैं क्षमता अनुसार बच्चों को पढ़ाने के लिए सुविधाएं देते हैं परंतु बच्चों का आवश्यक संस्कार जो उनको बाल्यावस्था में सिखाना चाहिए वह है शिक्षक को मान देना, शिक्षक को भगवान के समान मानना ,कक्षा में सहयोग करना ,जहां कठिनता है शिक्षक को प्रश्न करना ,ना के उपहास या अवमानना करना। विद्यार्थी को प्रतिदिन शिक्षक दिवस के महत्व को समझना होगा तभी वह सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसा कहलाएगा और भारत के आधुनिक इतिहास में शिक्षक दिवस स्वर्ण पृष्ठ पर लिखा जाएगा इसके साथ ही हमारी सरकार को भी शिक्षकों से अपेक्षाएं रखना तो आवश्यक है , परंतु साधारण शिक्षकों के स्तर को ऊंचा उठाना भी आवश्यक है। तभी शिक्षक भी सम्पूर्ण सेवा का संकल्प लेंगे। आज का विधार्थी कल का नागरिक बनता है । शिक्षा का स्तर श्रेष्ठ होने से ही हमारा देश का भविष्य प्रशस्ति के पथ पर अग्रसर होगा ।