राष्ट्रीय चेतना के समक्ष हमारे लिए कठिन चुनौती है ऐसे समय में राष्ट्र नायकों पर लिखे गये साहित्य को एकत्रित करना अनिवार्य हो गया है-डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त
‘महाराणा प्रताप और हिन्दी साहित्य विषयक संगोष्ठी‘
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘महाराणा प्रताप और हिन्दी साहित्य‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार, 23 जुलाई, 2021 को अपराह्न 3.00 बजे से गूगल मीट के माध्यम से किया गया।
डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में सम्माननीय अतिथि डॉ0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, एवं डॉ0 इन्दुशेखर तत्पुरुष, उदयपुर थे।
अभ्यागतों का स्वागत करते हुए श्रीकांत मिश्रा, निदेशक, उ0प्र0हिन्दी संस्थान ने कहा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा संचालित साहित्यिक समारोह योजना एवं स्मृति संरक्षण योजना के अन्तर्गत साहित्यकारों की स्मृति को जीवांत करने के लिए विभिन्न समारोहों का आयोजन किया जाता है। कोरोना महामारी के कारण वरिष्ठ साहित्यकारों, साहित्यानुरागियों हिन्दी सेवियों शोद्यार्थी, विद्यार्थीयों की उपस्थिति में समारोह आयोजित नहीं हो पा रहा है। इस कारण ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित कर हिन्दी संस्थान आप सब की सहभागिता के प्रति अभारी है।
भारतीय संस्कृति में अनेक ऐसे चरित्र है जिनका स्मरण जितनी बार किया जाय उतना कम है और हर बार नये-नये विचार सामने आते है। महाराणा प्रताप का चरित्र सदैव से प्रेरणादायी रहा है। साहित्यकारों द्वारा समय-समय पर उनके विराट व्यक्तित्व को केन्द्र में रखकर कविता, कहानी, उपन्यास आदि का सृजन किया गया है। हिन्दी भाषा के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी महाराणा प्रताप का जीवन संघर्ष, उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति, देशभक्ति, वीरता आदि को केन्द्र में रखकर साहित्य रचा गया है।
हिन्दी संस्थान द्वारा डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी सस्थान की अध्यक्षता में ‘महाराणा प्रताप और हिन्दी साहित्य‘ विषय पर
आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी में सुप्रसिद्ध विद्वान डॉ0 सूर्यप्रसाद दीक्षित एवं डॉ0 इंदु शेखर तत्पुरुष, के द्वारा हम सबका ज्ञानवर्द्धन होगा, यह विश्वास है। हिन्दी संस्थान परिवार दोनों विद्वानों के प्रति आभारी है, साथ ही इस संगोष्ठी में जुड़े सभी हिन्दी प्रेमियों को भी धन्यवाद देना समीचीन प्रतीत होता है, क्योंकि आप सब की उपस्थिति हमारा मनोबल बढ़ाती है। पुनः शुभकामनाएँ।
सम्माननीय अतिथि के रूप डॉ0 इन्दुशेखर तत्पुरुष, उदयपुर, ने अपने सम्बोधन में कहा - महाराणा प्रताप को हम श्यामनारायण पाण्डेय की ‘हल्दीघाटी‘ कृति के माध्यम से याद करना चाहते हैं साथ ही जयशंकर प्रसाद जी को भी स्मरण करना होगा। राजस्थान के कवियों में महाराणा प्रताप को हिन्दुवानी सूरज कहा जिसने अकबर की चमक को समाप्त किया। उन्होंने कन्हैया लाल सेठिया सहित अनेक कवियों का उल्लेख किया। महाराणा प्रताप के कुल में पैदा हुए चतुर सिंह जिन्हें वैराग्य हो गया था उन्होंने महाराणा प्रताप पर एक दोहा लिखा जो उनकी दृढ़ता का प्रत्यक्ष चित्रण करता है। वे कहते हैं कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को राजनीति की पाठशाला बना दिया।
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा - महाराणा प्रताप अपने शौर्य, साहस और दृढ़ता के लिए स्मरणीय है। महाराणा प्रताप विपरीत परिस्थिति में भी हताश नहीं हुए उन्होंने भीलों को संगठित कर राजपूतों सहित एक सेना तैयार की और युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त की। उनकी दृढ़प्रतिाता की सराहना उनके वैरी अकबर ने भी की थी।
उनके जीवन की संवेदनशील घटनाओं का चित्रण कवियों ने किया है। अनेक नाटक भी लिखे गये। महाराणा प्रताप के साथ-साथ उनके भाले और घ्ज्ञोड़े चेतक का भी वर्णन मिलता है, जो राणा प्रताप को संस्कृति का रक्षक सिद्ध करता है। इन घटनाओं का वर्णन आइने अकबरी जैसे ग्रन्थों में नहीं हुआ है। जो यह सिद्ध करता है कि इतिहास एक दृष्टिकोण से लिखा गया है।
महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व को अपेक्षित महानायकत्व नहीं मिला। गणेश शंकर विद्यार्थी ने ‘प्रताप‘ नाम से समाचार पत्र निकाला। उन्होंने राष्ट्रीय इतिहास का पुनर्लेखन अत्यन्त आवश्यक है।
-3-
अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरणा देने वाले महानायकों में राणा प्रताप, क्षत्रपति शिवाजी और सुभाष चन्द्रबोस पर अनेक प्रकार का साहित्य लिखा गया। वह केन्द्र से हटकर परिधि में चला गया। राष्ट्रीय चेतना के समक्ष हमारे लिए कठिन चुनौती है ऐसे समय में राष्ट्र नायकों पर लिखे गये साहित्य को एकत्रित करना अनिवार्य हो गया है। हिन्दी साहित्य के मूर्धन्य रचनाकारों ने महाराणा प्रताप के लिए शब्द सुमनों की माला पिरोयी है। श्याम नारायण पाण्डेय, रामधारी सिंह दिनकर, डॉ0 जयशंकर प्रसाद, सुरेश जोशी, कन्हैया लाल सेठिया, हरे कृष्ण प्रेमी, रामनरेश त्रिपाठी, पृथ्वीराज राठौर आदि ने महाराणा के चरित्र को शब्द दिये हैं। महाकवि निराला ने जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखी महाराणा प्रताप की कविता पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
डॉ0 गुप्त ने शत्रुघ्न प्रसाद के उपन्यास जो महाराणा प्रताप के जीवन पर केन्द्रित है ‘अरावली का मुख्य शिखर‘ का उल्लेख किया जिसमें मात्र अतीत का स्मरण नहीं किया वरन् उसे वर्तमान संदर्भ से भी जोड़ा है। इस उपन्यास में हल्दीघाटी के युद्ध के संदर्भ को और अधिक आगे बढ़ाया है।
डॉ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस संगोष्ठी में श्रीमती करुणा पाण्डेय, श्री गिरिजा शंकर तिवारी, श्री विनोद बब्बर, डॉ0 ए0डी0पाठक, श्री हनुमान गोपाल, डॉ0 कैलाश देवी सिंह, प्रभा सिंह, श्री सतीश चतुर्वेदी, शांकुतला, डॉ0 उषा सिन्हा, जरीना सैय्यद, डॉ0 दिनेश पाठक शशि, श्री पंकज कुमार मद्धेशिया, श्री रामकठिन सिंह, डॉ0 हरिशंकर मिश्र सहित अनेक साहित्यकारों ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया।