कहना छोड़ो बेकार की बाते
चिंतन
कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना छोड़ो बेकार की बाते कहीं बीत न जाये रैना।।
हर चमकती हुई चीज सोना नही होती।
पढ़े लिखे समझदार दिखने वाले लोग भी समझदार नही होते।
वजह अहंकार सूक्ष्म होता है।
वो किसी भी रूप में दिमाग मे घुस जाए तो जीवन को निरंकुश बददिमाग कर देता है।
फिर शोभित चिंतन है क्या है शोभित क्या है।
फक्कड़ मिजाजी कहे।
या ऊपर गाने की लाइनों को दिमाग मे बसाने का काम।।
जिन्हें जहर उगलने का शौक होता है वह जहर उगलते ही रहते है।उनका क्या ।
जहर अपने को नही दूसरे को नुकसान पहुंचता है।
जहर से बचने और तरने का मंत्र भाव पूर्ण होने के बजाय भाव हीन होने की तैयारी।
यही नव जीवन है यही उत्थान और शांति का मंत्र।।
एक शेर भी है।
जिंदगी को खुला छोड़ दो जीने के लिए,बहुत संभाल के रखी चीज वक़्त पर नही मिलती।।
कुछ तो लोग कहंगे लोगो का काम है कहना।
वक्त बहुत सवालों के जबाब खुद ही दे देता है जीवन मे या जीवन के बाद।।
एक शेर से शोभित पोस्ट बिराम।
कभी कभी धागे बड़े कमजोर चुन लेते है हम,और फिर पूरी उम्र गांठ बांधने में ही निकल जाती है।।।।
शोभित टण्डन