कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ की पुस्तक ‘मन आँगन, आकाश पराया’ का विमोचन
श्री दयानन्द जड़िया ‘अबोध’ ‘सागरिका सम्मान’ से विभूषित
लखनऊ, । सागर-सँस्कृति-साँस्कृतिक-संस्थान के तत्वावधान में प्रख्यात कवियत्री एवं अवधी भाषा की सशक्त हस्ताक्षर श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ की आठवीं पुस्तक ‘मन आँगन, आकाश पराया’ का भव्य विमोचन आर्य समाज मन्दिर, लाजपत नगर, चैक, लखनऊ के सभागार में बड़ी धूमधाम से सम्पन्न हुआ। उल्लासपूर्ण माहौल व तालियों की जोरदार गड़गड़ाहट के बीच मुख्य अतिथि पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’, प्रख्यात साहित्यकार, ने पुस्तक ‘मन आँगन, आकाश पराया’ का विमोचन किया। विमोचन समारोह की अध्यक्षता प्रख्यात समाजसेवी श्री तेजेन्द्र प्रकाश हवेलिया ने की जबकि अशोक कुमार पाण्डेय ‘अशोक’, डा. वेद प्रकाश, श्री अमृत खरे, श्री रंगनाथ मिश्रा ‘सत्य’ आदि मूर्धन्य विद्वानों की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा में चार-चाँद लगा दिये। कार्यक्रम का संचालन प्रत्यूष रत्न पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर प्रख्यात कवि श्री दयानन्द जड़िया ‘अबोध’ को ‘सागरिका सम्मान’ प्रदान कर सम्मानित किया गया एवं लेखक पियूष रत्न पाण्डेय की पुस्तक ‘खद्योत’ का लोकार्पण किया गया। इससे पहले समारोह का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन एवं ईश्वर स्तुति से हुआ जिसने सम्पूर्ण वातावरण में आध्यात्मिकता का अनूठा आलोक प्रवाहित किया।
कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रत्यूष रत्न पाण्डेय ने कवियत्री श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ का परिचय देते हुए कहा कि हिन्दी साहित्यजगत में रमा जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आपको उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा ‘काव्यश्री’, शिक्षा विभाग द्वारा ‘राज्य शिक्षक पुरस्कार’ आदि से नवाजा जा चुका है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्रीमती रमा जी की यह नई कृति साहित्य जगत में नये कीर्तिमान स्थापित करेगी।
समारोह के मुख्य अतिथि पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’, प्रख्यात साहित्यकार ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि पुस्तक ‘मन आँगन, आकाश पराया’ में मानव मन की भावनाओं की प्रधानता है जो निश्चित ही परिवार एवं समाज को संस्कारों व सामाजिक सरोकारों से परिपूर्ण करेगी। आज समाज को ‘रमा जी’ जैसी ही पथ-प्रदर्शकों की जरूरत है जो भावी पीढ़ी को ऊर्जा व उत्साह से लबरेज कर समाज के रचनात्मक विकास हेतु प्रेरित कर सके। विशिष्ट अतिथि श्री अशोक कुमार पाण्डेय ‘अशोक’ ने कहा कि यह अनुपम कृति वास्तव में हमारे देश की महान सामाजिक व सांस्कृतिक विरासत को उद्धृत करती है। डा. वेद प्रकाश आर्य, संपादक, आर्य लोकवार्ता, ने कहा कि यह पुस्तक हमारे जीवन मूल्यों, संस्कारों व सामाजिक सरोकारों का अनूठा संग्रह है जो समाज के निर्माण का काम करती है। इसी प्रकार कई अन्य वक्ताओं ने पुस्तक ‘मन आँगन, आकाश पराया’ की विभिन्न विशेषताओं से जनमानस को अवगत कराया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी श्री तेजेन्द्र प्रकाश हवेलिया ने कहा कि यह पुस्तक निश्चित रूप से अपने नाम को सार्थक कर दुनिया भर में भारत का गौरव बढ़ायेगी।
विमोचन समारोह में पधारे अतिथियों एवं पुस्तक प्रेमियों का स्वागत-अभिनंदन करते हुए लेखिका श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’ ने कहा कि आप सभी की उपस्थिति ने मेरा मनोबल बढ़ाकर मुझे और भी बहुत कुछ लिखने को प्रेरित किया है। यह पुस्तक भावी पीढ़ी को सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर शून्य से शिखर पर पहुँचने की प्रेरणा देती है। समारोह में प्रसिद्ध कवियों ने अपनी सारगर्भित रचनाओं की इन्द्रधनुषी छटा बिखरी।