मेरा शहर अधूरा सा रह गया....!


इस कोरोना काल में

अनएक्सपेक्टेड सी जिन्दगी

लगातार दे रही सरप्राइज

दे रही सदमा.....

शहर के लिए आज का दिन एक सदमें जैसा है।लखनपुर को आधुनिक लखनऊ के रूप रंग में नया आकार देने के शिल्पकार मध्यप्रदेश के राज्यपाल और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री लालजी टण्डन आज हम सब से हमेशा हमेशा के लिए बिदा होगये। श्री लालजी टण्डन देश के राजनीतिक जीवन में लखनवी तहजीब के पहचान थे। वह अतिथि देवो भवः के जीवंत उदाहरण थे। उनकी रिक्तता सामाजिक जीवन में सदैव खलेगी।मेरा शहर अधूरा सा रह गया।लखनऊ शहर की परम्परा और उसके रंग में रंगे रहने बाले हमारे अभिभावक की अनगिनत विशेषताएं थी जिसके कारण पूरा लखनऊ व्यक्त कर रहा है।बाबूजी के दरवाजे सब के लिए खुले रहते थे वह दल के नहीं दिल के नेता थे जिसके कारण एक बार कल्याण सिंह सरकार के दौरान हम सब के अग्रज मित्र तथा बुन्देलखन्ड राज्य आन्दोलन के मुखिया स्व. शंकरलाल जी पर झांसी प्रशासन ने रासुका लगा दी तब तक मुझे

लखनऊ में पत्रकारिता करते 5 वर्ष ही बीते थे जिसके कारण समझ नहीं आ रहा था किससे कहा जाये शाम को बाबूजी के पास पहुचा और उन्हें किस्सा बताया तो उन्होने तत्काल डीएम झांसी को फटकार लगाते हुए कहा कि आन्दोलनकारीयों का दमन करोगे!बुन्देलखन्ड राज्य की मांग करना कोई अपराध नहीं है।शंकरलाल जी क्या अपराधी है? बाबूजी की फटकार से ही मामला सुलट गया। आज किसके पास कोई जाये संकटकाल में यह सवाल लम्बे समय तक अनुत्तर रहेगा।पिछले तीन दशक से मैं उनकी कार्यशैली को करीब से देख रहा हूँ। वह हर किसी की समस्या को धैर्य से सुनते थे और उसका निदान करने और कराने की हर सम्भव कोशिश करते थे।उनकी रिक्तता लखनऊ में सदैव खलेगी।

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