कोरोना की आड़ में सरकार द्वारा राज्य कर्मचारियों के भत्ते खत्म करना दुर्भाग्यपूर्ण। सरकार अपने फैसले पर करे पुनर्विचार- अजय कुमार लल्लू
लखनऊ, 12 मई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू ने कोरोना की आड़ में कर्मचारियों के भत्ते खत्म करने पर कड़ा एतराज जताया है। इस महामारी में कर्मचारी विशेषकर डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन, सफाई कर्मचारी, पुलिस, खुफिया विभाग, शिक्षक आदि अपना योगदान दे रहे है, वही दूसरी ओर प्रदेश सरकार इनके हितो और जीविका को लूटने का काम कर रही है। प्रदेश सरकार कर्मचारियों के 6 प्रकार के भत्ते खत्म करने जा रही है। इसके पहले सरकार ने ये घोषणा की थी कि भत्तो को सिर्फ स्थगित किया गया है। प्रदेश के कर्मचारियों के भत्ते को खत्म करना अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान है। प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे। प्रदेश सरकार अपने इस फैसले को वापस लेने का पुनर्विचार करे।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार निजी कंपनियों व उद्योगों के मालिकों से ये अपील करती है कि अपने कर्मचारियो का वेतन न काटे और समय से पहले वेतन दे, वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा खुद के कर्मचारियों का हक मारना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। लॉकडाउन महामारी के समय प्रदेश के कर्मचारियों पर दो गुना काम का बोझ है। ऐसे समय में उनके भत्तो को खत्म करना उन्हें हतोत्साहित करना होगा।
श्री अजय कुमार लल्लू ने ’मुख्यमंत्री सहायता कोष’ को सार्वजनिक करने की मांग की। प्रदेश के आम नागरिकों, विभिन्न विभागों के कर्मचारी संगठनों ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिये स्वेच्छा से सरकार को हजारो करोड़ रुपये दान दिये है। बावजूद इसके सरकार ने कर्मचारियों के भत्तो को खत्म कर दिया।
श्री लल्लू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने फण्ड का विवरण प्रदेश की जनता के समक्ष रखा है। राज्य के मुख्यमंत्री से उम्मीद करता हूँ कि वे भी ऐसी ही पारदर्शिता दिखायेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू ने कोरोना की आड़ में कर्मचारियों के भत्ते खत्म करने पर कड़ा एतराज जताया है। इस महामारी में कर्मचारी विशेषकर डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन, सफाई कर्मचारी, पुलिस, खुफिया विभाग, शिक्षक आदि अपना योगदान दे रहे है, वही दूसरी ओर प्रदेश सरकार इनके हितो और जीविका को लूटने का काम कर रही है। प्रदेश सरकार कर्मचारियों के 6 प्रकार के भत्ते खत्म करने जा रही है। इसके पहले सरकार ने ये घोषणा की थी कि भत्तो को सिर्फ स्थगित किया गया है। प्रदेश के कर्मचारियों के भत्ते को खत्म करना अमानवीय, अव्यवहारिक और तुगलकी फरमान है। प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी प्रभावित होंगे। प्रदेश सरकार अपने इस फैसले को वापस लेने का पुनर्विचार करे।
उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार निजी कंपनियों व उद्योगों के मालिकों से ये अपील करती है कि अपने कर्मचारियो का वेतन न काटे और समय से पहले वेतन दे, वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा खुद के कर्मचारियों का हक मारना दुर्भाग्यपूर्ण होगा। लॉकडाउन महामारी के समय प्रदेश के कर्मचारियों पर दो गुना काम का बोझ है। ऐसे समय में उनके भत्तो को खत्म करना उन्हें हतोत्साहित करना होगा।
श्री अजय कुमार लल्लू ने ’मुख्यमंत्री सहायता कोष’ को सार्वजनिक करने की मांग की। प्रदेश के आम नागरिकों, विभिन्न विभागों के कर्मचारी संगठनों ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिये स्वेच्छा से सरकार को हजारो करोड़ रुपये दान दिये है। बावजूद इसके सरकार ने कर्मचारियों के भत्तो को खत्म कर दिया।
श्री लल्लू ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने फण्ड का विवरण प्रदेश की जनता के समक्ष रखा है। राज्य के मुख्यमंत्री से उम्मीद करता हूँ कि वे भी ऐसी ही पारदर्शिता दिखायेंगे।