विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष‍- पढ़ने के प्रति मेरी रुचि बचपन से ही रही-रामप्रकाश गुप्त

पढ़ने के प्रति मेरी रुचि बचपन से ही रही है। मेरे घर में पढ़ने की पुस्तकों का भंडार रहता था। जब मैं कक्षा आठ में था उस समय से चिरगांव के बस स्टैंड पर समर्थित गणेश शंकर विद्यार्थी पुस्तकालय में प्रतिदिन पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों के अध्ययन के लिए जाता रहा। इस पुस्तकालय की स्थापना १९३६ में हुई थी। पुस्तकें पढ़ने के साथ साथ पुस्तकों का संग्रह करना भी निरंतर जारी रहा। मुझे बुन्देलखण्ड की संस्कृति, साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, लोक-संस्कृति पर लेखन व संकलन के बुन्देलखण्ड के प्रमुख पुस्तकालयों में अध्ययन करने का भी अवसर मिला। लाकडाऊन के समय घर पर मेरे निजी पुस्तक संग्रह ने लेखन में पर्याप्त सहायता की है। वास्तव में पुस्तकों से अच्छा कोई साथी व सहयोगी नहीं है, प्रत्येक घर में पुस्तक संग्रह अवश्य होना चाहिए। 
  रामप्रकाश गुप्ता हथनोरिया प्रधान संपादक गहोई गरिमा पत्रिका चिरगांव, सचिव बुन्देलखण्ड इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति शोध संस्थान चिरगांव



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