विश्व बैंक से भारत को कोविड-19 के लिए फास्ट-ट्रैक 1 बिलियन डॉलर की मदद

नई दिल्ली, 3 अप्रैल, 2020 – विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने भारत को कोविड-19 महामारी को रोकने, पता लगाने और इसका प्रत्युत्तर देने और अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य तैयारी को मजबूत बनाने के लिए फास्ट-ट्रैक 1 बिलियन डॉलर भारत कोविड-19 आपातकालीन प्रत्युत्तर और स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी परियोजना को मंजूरी दी। यह बैंक की ओर से, भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए दिया गया अब तक का सबसे बड़ा समर्थन है।


 


यह नया समर्थन पूरे भारत में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगा और संक्रमित लोगों, जोखिम में पड़ी आबादी, चिकित्सा और आपातकालीन कर्मियों और सेवा प्रदाताओं, चिकित्सा और परीक्षण सुविधाओं, और राष्ट्रीय और पशु स्वास्थ्य एजेंसियों की जरूरतों को पूरा करेगा।


 


परियोजना मानव-से-मानव संचरण को सीमित करने के प्रयासों को बढ़ाने में भारत सरकार को सक्षम करेगी जिसमें पीड़ित मामलों के स्थानीय प्रसार को घटाना और महामारी को आगे बढ़ने से रोकना शामिल है। इसके साथ ही, कोविड-19 महामारी का प्रत्युत्तर देने के लिए देश की क्षमता में सुधार करने और मनुष्यों एवं पशुओं के बीच संचरण सहित रोग के उभरते प्रकोपों ​​का प्रत्युत्तर देने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने के उद्देश्य से स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए हस्तक्षेप किया जायेगा।


 


परियोजना के तहत परीक्षण किटों की खरीद; अस्पताल के बेड को गहन देखभाल इकाई बेड में बदलने समेत नये आइसोलेशन वार्डों की स्थापना करना; संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण; और विशेष रूप से जिला अस्पतालों में निजी सुरक्षा उपकरण, वेंटिलेटर, और दवाइयों की खरीद, और विशेषीकृत संक्रामक रोग अस्पतालों का पैमाना बढ़ाया जायेगा।


 


वर्ल्ड बैंक के भारत के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा, "कोविड-19 के प्रसार से जूझने में भारत को


बिना देरी के और लचीला समर्थन उपलब्ध कराने के लिए विश्व बैंक भारत सरकार के साथ निकट साझेदारी में काम कर रहा है।" उन्होंने कहा कि इस परियोजना से निगरानी क्षमता बढ़नेनैदानिक ​​प्रणालियों के मजबूत होने और प्रयोगशालाओं की क्षमता का विस्तार होने की उम्मीद है। लेकिनकोविड-19 महज एक स्वास्थ्य चुनौती नहीं है। इसके गहरे सामाजिक और आर्थिक पहलू हैं। इसके साथ हीहम सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों और लोगों की आजीविका की रक्षा करने वाले आर्थिक उपायों पर सरकार के साथ समान तीव्रता से काम कर रहे हैं।


 


यह परियोजना भारत की स्वास्थ्य प्रणाली के लचीलापन को भी बढ़ायेगी, ताकि कोविड​​-19 और भावी रोग प्रकोपों के बेहतर प्रबंधन ​​के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य रोकथाम और रोगियों की देखभाल की व्यवस्था उपलब्ध करायी जा सके। यह भारत के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, संक्रामक रोग अस्पतालों, जिला, सिविल, सामान्य और मेडिकल कॉलेज अस्पतालों को मजबूत करने और हाई कंटेनमेंट बायोसेफ्टी लेवल 3 प्रयोगशालाओं के एक नेटवर्क का निर्माण करने में मदद करेगा।


 


आज, एचआईवी / एड्स, इबोला और सार्स सहित लगभग 75 प्रतिशत नये संक्रामक रोग मानव-पशु संपर्क से शुरू होते हैं। यह परियोजना मौजूदा और उभरते पशुजन्य रोगों का पता लगाने के लिए क्षमता और प्रणाली विकसित करेगी, भारतीय संस्थानों द्वारा कोविड-19 पर बायोमेडिकल रिसर्च में मदद करेगी, और परीक्षण और अनुसंधान के लिए वायरल अनुसंधान और नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं का उन्नयन करेगी।


 


यह साफ-सफाई की आदतों, मास्क पहनने, सामाजिक दूरी पर व्यापक स्वास्थअय जागरुकता और व्यवहारगत परिवरतन अभियानों और कमजोर समुदायों के लिए मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोवैज्ञानिक सेवाएँ उपलब्ध कराने समेत कोविड​​-19 के चारों तरफ फैले प्रकोप की स्थिति में संभावित महत्वपूर्ण नकारात्मक वाह्य प्रभावों का भी निस्तारण करने में मदद करेगी।


 


इस परियोजना का वित्तपोषण 1 बिलियन डॉलर की राशि इंटरनेशनल बैंक फॉर रीकंस्ट्रक्शन ऐंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) की ओर से किया गया है, जिसमें से 350 मिलियन डॉलर वर्ल्ड बैंक समूह के कोविड-19 फास्ट-ट्रैक फैसिलिटी के माध्यम से प्रदान किये गये हैं। इसका प्रबंधन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा किया जायेगा।


 


कोविड-19 पर विश्व बैंक समूह के कदम


विश्व बैंक समूह विकासशील देशों में कोविड-19 प्रत्युत्तर को मजबूत करने और सामान्य स्थिति की पुनर्बहाली का समय घटाने के लिए 14 बिलियन डॉलर का फास्ट-ट्रैक पैकेज जारी कर रहा है। तत्काल प्रत्युत्तर में देशों को महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों से निपटने में मदद करने के लिए वित्तपोषण, नीतिगत सलाह और तकनीकी सहायता शामिल है। आईएफसी महामारी से प्रभावित निजी कंपनियों और नौकरियों को संरक्षित करने में मदद करने के लिए 8 बिलियन डॉलर का वित्तपोषण उपलब्ध करा रहा है। आईबीआरडी और आईडीए स्वास्थ्य-प्रत्युत्तर के लिए 6 बिलियन डॉलर की शुरुआती सहायता उपलब्ध करा रहे हैं। चूँकि देशों को व्यापक समर्थन की आवश्यकता है, इसलिए विश्व बैंक समूह गरीब और कमजोरों को संरक्षित करने, व्यवसायों का समर्थन करने और आर्थिक बेहतरी की वापसी तेज करने के लिए 15 महीनों में 160 बिलियन डॉलर तक का योगदान करेगा।


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