उपन्यास मुर्दाघर वेश्याजीवन को प्रतिबिंबित करने वाला पहला मौलिक उपन्यास है

जगदम्बा प्रसाद दीक्षित का प्रचलित उपन्यास मुर्दाघर संभवतः बडे फलक पर वेश्याजीवन को प्रतिबिंबित करने वाला पहला मौलिक उपन्यास है। इस उपन्यास की नायिका मैना को वेश्या व्यवसाय करते हुए पुलिस पकड कर ले जाती है और हवालात में बंद कर देती है। उसका पति उससे जाकर मिलता है और उसे घर की औरत बताकर छुडाकर ले जाने की बात करता है। तब मैना उसका विरोध करती हुई कहती है- तेरे बोलने से क्या होता। मैं रंडी हूँ : सब लोग कू मालूम। मैं खुद बोलती.... मैं रंडी हूँ। ... और तू .... मेरा मरद होके मेरे से अईसा काम करवाता .... मेरी कमाई खाता... मैं। स्पष्ट है कि मैना मजबूर करने वाले पुरुष पति के खिलाफ बोलने लगी है।
नारी अपनी देह मजबूरी में बेचती है।


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