तुम्हारा जीवन है मेरा जीवन -गीत

जो तुम हो मुझको फिर किसका डर है, जो तुम नही हो तो है कौन मेरा।
तुमसे ही मेरी है साॅंझ होती, तुमसे ही होता है मेरा सवेरा ।।
तुम्हारा जीवन है मेरा जीवन,
तुम्हारा आंगन है मेरा मधुवन।
तुमही बसे हो मेरे नयन मे,
तुम्हारा दर्शन है मेरा चिन्तन।।
जो तुम बसे हो मेरे मनस में, तुम्हारा मन है मेरा बसेरा।
तुमसे ही मेरी है साॅंझ होती, तुमसे ही होता है मेरा सवेरा ।।
खुलती जो पलकें कटता तमस घन,
जो बन्द हो जायें सपने सजायें।
जब संग हो तुम तो खिल जाये तन-मन,
गीतों मधुमास अन्तस् में छाये।।
तुमही से फैला है जग में उजाला, हो जायेगा तुम बिन पर अन्धेरा।
तुमसे ही मेरी है साॅंझ होती, तुमसे ही होता है मेरा सवेरा ।।
मेरा मनस है तुम्हारा दर्पण,
जिसमें तुम्हारी ही छवि विहॅंसती।
नयनों के द्वारे जब तुम न होतो,
सुधिगंध रहती तुम्हारी महकती।।
मेरा जनम है तुमसे ही पूरित, इसमें कहाॅं कुछ है तेरा मेरा।
तुमसे ही मेरी है साॅंझ होती, तुमसे ही होता है मेरा सवेरा ।।
जो तुम हो मुझको फिर किसका डर है, जो तुम नही हो तो है कौन मेरा।


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