कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के दौर में भी सत्ता से जुड़े भ्रष्ट तत्व अपनी जेबें भरने से बाज नहीं आ रहे-अखिलेश यादव
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के दौर में भी सत्ता से जुड़े भ्रष्ट तत्व अपनी जेबें भरने से बाज नहीं आ रहे हैं। शराब तस्करी में सत्तादल के नेताओं की संलिप्तता उजागर हो रही है। यह भी सच सामने आ रहा है कि कोरोना संकट से निबटने में लापरवाही भी बरती जा रही है और आंकड़ों में हेरफेर कर जनता को गुमराह किया जा रहा है। तमाम दावों के बावजूद गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। दूसरे राज्यों से लौट रहे श्रमिक विभिन्न स्थानों पर फंसे हैं। केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों का काम सिर्फ जुमलों की राजनीति कर अपना स्वार्थसाधन करना रह गया है।
लगातार दागदार कम्पनी को किसके कहने पर आक्सीजन सप्लाई का काम बांटने की तैयारी है। लखनऊ से मेरठ तक ब्लैक लिस्टेड कम्पनी को उसके मुताबिक नियम बदलकर टेण्डर पास किए जाने की साजिश चल रही है। वाराणसी, गोण्डा, रामपुर, गाजीपुर, रायबरेली और सिद्धार्थनगर के जिला अस्पतालों में करवाए जा रहे कामों की भी शिकायतें आई हैं। गोण्डा जिला अस्पताल में मानकों के विपरीत आक्सीजन के उपकरण लगाए जा रहे थे।
पिछले दिनों केन्द्रीय कैबिनेट सचिव और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों की बैठक में उत्तर प्रदेश की कोरोना संकट से निबटने के प्रयासों पर कई प्रश्नचिह्न लगे। राज्य सरकार की तैयारियां नाकाफी पाई गई हैं। राज्य के 75 जिलों में 53 जिले ऐसे हैं जिनमें 100 से भी कम आइसोलेशन बेड हैं। इनमें 31 जिलों में कोराना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं। प्रदेश के 34 जिलों में एक भी आईसीयू बेड नहीं है जबकि इनमें 19 जिलों में कोरोना पाॅजिटिव के मामले दर्ज हुए है।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाॅकडाउन में तो बुराहाल है। विगत 26 मार्च 2020 को टीबी मरीजों की जांच और दवाइयां सुनिश्चित करने वाला अपना आदेश भाजपा सरकार पूरा नहीं कर सकी है। दिल, किडनी, कैंसर, लीवर जैसी गम्भीर बीमारियों के मरीज भी भटक रहे हैं, रक्तचाप पीडितों को दवाएं नहीं मिल रही हैं। सरकारी अस्पताल, सामुदायिक केन्द्रों पर उन्हें कोई देखने वाला नहीं है। राजधानी में ही गम्भीर मरीजों का प्राईवेट इलाज, जांचों और दवाओं पर ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ रही है।
भाजपा सरकार को दूरदराज के राज्यों में काम करने वाले श्रमिकों की भी सुध लेनी चाहिए। मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश में अपने घरों को वापस लौट रहे सैकड़ों मजदूर 3 दिन से ललितपुर में भूखे प्यासे पड़े हैं। स्थानीय प्रशासन से मदद न मिलने से उनका जीवन नर्क से बदतर हो गया है। सरकार का बसों द्वारा उन्हें उनके गंतव्य स्थानों तक सुविधाजनक भेजने की व्यवस्था करनी चाहिए।