अल्प वेतनधारी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का वेतन सहमति बैगर न काटे सरकार: महासंघ

लखनऊ24-4-2020। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ उत्तर प्रदेश ने  अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों का उत्पीड़न बन्द करे, किसी भी कर्मचारी नर्सेज, पुलिस कर्मी, होमगार्ड्स, सफाई कर्मचारी, चैकीदार, या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के सहमति के बगैर उनके वेतन से कटौती न की जाय। महासंघ के महामंत्री सुरेश सिंह यादव ने कहा कि   केंद्र सरकार व उ.प्र. सरकार द्वारा कोरोना महामारी कोविड -19 के चलते राज्य कर्मचारियों के माह मार्च 2020 के वेतन से 1 दिन का वेतन लाखों कर्मचारियों की सहमति से मुख्यमंत्री के राहत कोष में दिया गया था, वर्तमान में भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों का प्रत्येक माह 1 दिन का वेतन निरंतर 1 साल तक कटौती किए जाने का प्राविधान किया गया है इस सम्बंध में किसी भी कर्मचारी से न कोई सहमति ली गई है और न ही चतुर्थ श्रेणी महासंघ से कोई वार्ता की गई है, जबकि सरकार को सर्वविदित है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी एक अल्प वेतन भोगी कर्मचारी है ऐसे में अपने परिवार का भरण पोषण ब-मुश्किल से कर पाता है इस प्रकार के आदेश से समूचे उ.प्र. के लाखों चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ अन्याय है जो किसी कीमत पर उचित नही है।
सुरेश सिंह यादव का कहना है कि प्रदेश में हजारो कर्मचारियों का दिल, कैंसर, आदि जैसे असाध्य रोगों से ग्रसित होने के चलते उन पर खर्च चिकित्सा प्रतिपूर्ति का भुगतान अभी तक नही किया गया है जिससे पीड़ित कर्मचारी अपने उपचार के अभाव में परेशान है । इसके साथ ही महंगाई भत्ते को भी सरकार के द्वारा स्थगित कर दिया गया है जो एक अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों के हित मे सही नही है।समूचे देश प्रदेश  के अधिकारी, कर्मचारी डाक्टर्स, नर्सेज, पुलिस कर्मी, होमगार्ड्स, सफाई कर्मचारी, चैकीदार हो, या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सभी जी जान से जनता की सेवा में सभी लगातार तत्परता से कोरोना महामारी कोविड-19 के दौर में अपनी जान को जोखिम में डालकर दिन-रात्रि इस महा अभियान में अपना पूर्ण योगदान भी दिया जा रहा है इस विपत्ति की घड़ी में हम सभी सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। महासंघ सरकार से मांग करता है कि अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों का उत्पीड़न बन्द करे, किसी भी कर्मचारी नर्सेज, पुलिस कर्मी, होमगार्ड्स, सफाई कर्मचारी, चैकीदार, या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के सहमति के बगैर उनके वेतन से कटौती न की जाय। महासंघ की तरफ से सुझाव दिया गया कि ’केंद्र सरकार द्वारा नए सांसद बनाए जाने का जो प्रस्ताव ला रही है जिसमें 126 करोड़ का व्यय होने जा रहा ऐसे प्रस्ताव को भी अबिलम्ब निरस्त किया जाना चाहिए।ं विभागीय कर्मचारियों के आवासीय भवनों की मरम्मत के लिए करोड़ों रुपया का जो विभागों को आवंटन किया गया है उस पर भी तत्काल प्रभाव से रोक अंकुश लगाना चाहिए।यही नही जब तक जरूरी न हो किसी तरह के तबादलें न किये जाए एवं तबादला सत्र शुन्य किया जाए इससे भी सरकार को काफी आर्थिक खर्च रोकने में सहायता मिलेगी।


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