जीवन, जग ही, संकट में अब,
विकट परिस्थिति, भय है छाया, सरकार ने आपात लगाया है।
मनमौजी हम, डरें न मृत्यु से, लापरवाही को अपनाया है।।
चीन, अमेरिका, इटली भी फेल।
फिर भी, भारतीयों में, रेलम-पेल
सिखाने का, जिन पर ठेका है,
वह भी, जीवन को, समझें हैं, खेल।
कहीं भी घूमें, कफयूँ न माने, पुलिस को भी इन्होंने छकाया है।
विकट परिस्थिति, भय है छाया, सरकार ने आपात लगाया है।।
काम करो घर से, नया है फण्डा।
ना निकल, घर से, पड़ेगा डण्डा।
जीवन, जग ही, संकट में अब,
बचाव, धैर्य, और मन रख ठण्डा ।
छोटे से, वायरस ने, आकर, मानव घमण्ड, मिटाया है।
विकट परिस्थिति, भय है छाया, सरकार ने आपात लगाया है।
खाने के, पड़ रहे हैं लाले ।
शैतान चलते, फिर भी चालें
एक-एक सप्ताह, पैदल चलकर,
मिला न कुछ भी, जो ये खालें।
साथ-साथ मिल, आओ लड़े,
दूर-दूर रह, मुद्दा, अब गरमाया है।
विकट परिस्थिति, भय है छाया,
सरकार ने आपात लगाया है।।
महामारी से आओ लड़े हमजीवन बचायें,
न महान बने हम। राष्ट्रप्रेमी भी है,
आज रो पड़ा, करते भी ना, आज,
लाज हम मौत में भी, कालाबाजारी,
करने वालों से, शरम को भी शरमाया है।
विकट परिस्थिति, भय है छाया,
सरकार ने आपात लगाया है।।