वो पूरा-पूरा हिन्दुस्तान मैं उस को ढूँढ रहा हूँ

मुसलमाँ और हिन्दू की जान
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


मेरे बचपन का हिन्दुस्तान
न बंगलादेश न पाकिस्तान
मेरी आशा मेरा अरमान
वो पूरा पूरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


वो मेरा बचपन वो स्कूल
वो कच्ची सड़कें उड़ती धूल
लहकते बाग़ महकते फूल
वो मेरे खेत मेरा खलियान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


वो उर्दू ग़ज़लें, हिन्दी गीत
कहीं वो प्यार कहीं वो प्रीत
पहाड़ी झरनों के संगीत
देहाती लहरा पुरबी तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


जहाँ के कृष्ण जहाँ के राम
जहाँ की शाम सलोनी शाम
जहाँ की सुबह बनारस धाम
जहाँ भगवान करें स्नान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


जहाँ थे तुलसी और कबीर
जायसी जैसे पीर फ़क़ीर
जहाँ थे मोमिन ग़ालिब मीर
जहाँ थे रहमन और रसखा़न
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


वो मेरे पुरखों की जागीर
कराची लाहौर औ कश्मीर
वो बिल्कुल शेर की सी तस्वीर
वो पूरा-पूरा हिन्दुस्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


जहाँ की पाक पवित्र ज़मीन
जहाँ की मिट्टी ख़ुल्द-नशीन
जहाँ महराज मोईनुद्दीन
ग़रीब-नवाज़ हिन्द सुल्तान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


मुझे है वो लीडर तस्लीम
जो दे यक-जेहती की तालीम
मिटा कर कुम्बों की तक़्सीम
जो कर दे हर क़ालिब एक जान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


ये भूखा शायर प्यासा कवि
सिसकता चाँद सुलगता रवि
हो जिस मुद्रा में ऐसी छवि
करा दे अजमल को जलपान
मैं उस को ढूँढ रहा हूँ


मुसलमाँ और हिन्दू की जान
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान


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मशहूर शायर जनाब अजमल सुल्तानपुरी जी गत 29 जनवरी को मादरे वतन की गोद में हमेशा के लिए सो गये। उनकी मशहूर रचना साझा करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है।


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