रामराज्य
जिसने एक बार भी छुआ नहीं था मां सीता के दामन को।
अब तक जला रहे चौराहों पर हम पापी कह रावन को।
बहुत हुआ ये ढोंग दिखावा ये सब बिल्कुल बंद करो।
सपनों से बाहर आकर अब सड़कों पर द्वंद्व करो।
काट ना पाए तुम बेटी के दामन पर बढ़ते हाथों को।
रोक ना पाए जल्लादों के बर्बर नापाक इरादों को।
तो रामभक्त बन मूर्ति के सम्मुख बिल्कुल भी जाना मत।
विजयादशमी पर रावण के पुतले को हाथ लगाना मत।
संविधान की बंदिश तोड़ो फिर से अब द्वापर त्रेता हो।
फिर सम्मुख हो दुर्योधन या रावन सा विश्वविजेता हो।
रेपिस्टों को सड़कों पर लाकर के खुदी जला दो तुम।
तुम्हें कसम है रामराज्य अब एक बार फिर ला दो तुम।