आर०चंद्रा और शमशाद आलम बार की प्राथमिक सदस्यता से हुए बर्खास्त

बर्खास्त सदस्यों के साथ मिलकर की जाने वाली साजिश मानी जाएगी बार विरोधी गतिविधि


 बर्खास्तगी के साथ ही उपाध्यक्ष का पद स्वतः समाप्त: पंकज शुक्ला


समाधान का मार्ग है वार्ता न कि संस्था को सीधी चुनौती देना: संरक्षक


 


      सेना कोर्ट स्थित ए०एफ०टी० बार के महामंत्री पंकज कुमार शुक्ला ने कठोर कार्यवाही करते हुए बार की गरिमा और सम्मान के विपरीत गैर जवाबदेही पूर्ण कार्य करने वाले पूर्व सदस्य श्री आर०चंद्रा और श्री शमशाद आलम को प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त कर दिया, मामला यह था कि बार के कई सदस्यों ने व्यक्तिगत आलमारी रखने के लिए बार को आवेदन दिया था जिसकी अनुमति दिया जाना बार के लिए संभव नहीं था इसलिए आर०चन्द्रा को अपनी आलमारी हटाने का प्रस्ताव प्रबंध-कार्यकारिणी समिति ने 31 जनवरी2020 को बहुमत से पारित कर दिया, जिसके क्रम में दोनों को पत्र जारी करके अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया लेकिन उन्होंने नोटिस लेने से इंकार कर दिया, वहीँ दूसरी तरफ नोटरी शमशाद आलम पर मुवक्किल से नोटरी शुल्क के रूप में एक हजार रुपए ऐंठने का आरोप था लेकिन उन्होंने भी अवसर दिए जाने के बावजूद अपना पक्ष नहीं रखा l


        बार के सचिव पंकज शुक्ला का कहना है कि यह निर्णय सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव के अनुरूप लिया गया है, जिसमे बार के अध्यक्ष भी उपस्थित थे, उनके द्वारा बार के निर्णय की उपेक्षा करना बार के सदस्यों को अपमानित करने जैसा था इसलिए दोनों को बार की सदस्यता से बर्खास्त करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था, इसी के साथ तत्काल प्रभाव से उनके बार परिसर में प्रवेश और बार में उपलब्ध सुविधाओं के प्रयोग पर भी रोंक लगा दी गई है,  पंकज शुक्ला ने आगे कहा कि इन लोगों के साथ मिलकर यदि कोई भी बार के खिलाफ साजिश रचता पाया जाएगा तो उसे भी बार विरोधी गतिविधि मानते हुए उसके खिलाफ भी ठीक इसी तरह कार्यवाही होगी, इसकी सूचना रजिस्ट्रार सेना कोर्ट, बार काउन्सिल उ०प्र० और थानाध्यक्षसदर कैंट को प्रेषित कर दी गई है, खबर लिखने तक बार के अध्यक्ष ने आर०चंद्रा के साथ जाकर रजिस्ट्रार से इसकी शिकायत की है, जिसको सचिव ने गंभीर विषय माना है l मीडिया द्वारा उपाध्यक्ष पद को लेकर किए गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उपाध्यक्ष का पद स्वतः समाप्त हो चुका है उपाध्यक्ष किसे बनाया जाय इस पर शीघ्र निर्णय ले लिया जाएगा l बार के संरक्षक आशीष कुमार सिंह और मनोज कुमार अवस्थी ने कहा कि बार के किसी भी निर्णय को प्रतिष्ठा से नहीं जोड़ना चाहिए, संस्था से वार्ता करके समाधान का मार्ग तलाशना चाहिए न कि संस्था को सीधी चुनौती देने का प्रयास करना चाहिए, जो भी हुआ दु;खद और निराशाजनक है l  


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