24 फरवरी 2020 को ‘अवध के राम’ नामक नाटक का मंचन

‘अवध के राम’
रामचन्द्र जी और अवध का लगभग 7000 साल का इतिहास



 लखनऊ, संत गाड्गे प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी, गोमतीनगर इन्स्ट्टीयूट आॅफ ह्यूमन रिर्सोसेज़, रिसर्च एण्ड डेवलेपमेन्ट सोसाइटी, उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के सहयोग से 24 फरवरी 2020 को ‘अवध के राम’ नामक नाटक का मंचन करा रही है। जिसके लेखक एस.एन.लाल है और निर्देशन नवाब मसूद अब्दुल्लाह और एस.एन.लाल ने किया है।
  नाटक के निर्देशक नवाब मसूद अब्दुल्ला ने बताया इस नाटक में पिछले लगभग 7000 साल का इतिहास दिखया गया है, जोकि रामचन्द्र जी से लेकर नवाब वाजिद अली शाह तक का है। इस नाटक में रामचन्द्र जी के साथ-साथ अवध का इतिहास भी दर्शाया गया है। नाटक के दृश्यों रामचन्द्र जी द्वारा भाई लक्ष्मणजी को उपहार में लक्ष्मणपुर शहर देते दिखाया गया है, तो वही महाऋषि वाल्मिकी ने रामायण की रचना किन परिस्थिति में की और श्लोक की उत्पत्ति कैसे हुई, तुसलीदासजी ने कैसे रामजी की कहानी को दोहो में समेटा इन मनमोह दृश्यों को भी मंचित किया जायेगा है। नाटक के एतिहासिक दृश्यो को आपस में कड़ी के रुप में एक-दूसरे जोड़ने के लिए एक सूत्रधार भी मंच पर बीच-बीच में इतिहास को बताता रहेगा।   
नाटक के लेखक एवं निर्देशक ने एस.एन.लाल ने बताया कि अकबर बादशाह ने रामायण का फारसी में  अनुवाद कराकर उसमें 165 रंगीन चित्र डलवाये थे, उसके बाद भी मुग़लकाल में ही कई बार रामायण का अनुवाद हुआ। क़ुरआन शरीफ की आयतों के हवाले से बहुत कुछ बताने की कोशिश की गयी है। इसके आलावा अवध के नवाबीन ने अवध की गंगा-यमुनी तहज़ीब को बनाने के लिए सभी धर्मो और वर्गो के धार्मिक कार्यक्रमों में बराबर से शरीक होते थे। इसमें नज़ीर अकबराबादी को भी दिवाली पर नज़्म पढ़ते दिखाया गया। प्रथम स्वतन्त्रा सग्राम से पहले नवाब वाजिद अली शाह को जब फिरंगी गिरफ्तार करके ले जा रहे होते है, तब नवाब वाजिद अली शाह की सुरक्षा के लिए रामचन्द्र जी प्रार्थना की जाती है। नाटक इन सभी दृश्यो को मंच के लिए बहुत ही खुबसूरतीं से तैयार किया गया है। 
 संस्था के निर्देशक मज़ाहर रज़ा ने बताया कि इस अवसर निशान-ए-उर्दू सम्मान दिया जायेगा, उन विभूतियों को, जो प्रसिद्ध तो अपने किन्ही और कामों की वजह से है लेकिन समाज के लिए बराबर काम करते रहते है। सम्मान पाने वालों में डा0 सूर्यकान्त, श्री शरद प्रधान, श्री शशंाक श्रीवास्तव, श्री हसन रिज़वी, डा0 अनवर रिज़वी, वामिक़ ख़ान, डा0 तलत रिज़वी, श्री आलोक राजा, श्रीतमी सुनिता वर्मा व डा0 नैय्यर जलालपुरी शामिल हैं। सम्मान न्यायमूर्ति षबीउल हसनैन व श्री माहरुख मिर्ज़ा कुलपति उर्दू,-फारसी व अरबी विश्वविद्यायल के करकमलो द्वारा दिया जायेगा। इस अवसर सै0 रफत, स्वामी सारंग, श्री अनीस अन्सारी, सिराज मेहंदी, हसन काज़मी, मेहराज हैदर व नगर की कई गणमान्य विभूतियां उपस्थित रहेंगी।
यह नाटक अतहर नबी साहब की देखरेख में हो रहा है जिसकी परिकल्पना नवाब जाफर मीर अब्दुल्लाह की है। इस अवसर पर 11 लोगो को निशान-ए-उर्दू सम्मान से सम्मानित भी किया जायेगा। इस नाटक में 35 कलाकार अभिनय कर रहे है। इस नाटक में वेषभूशा, संगीत व रंगदीपन पर काल के अनुरुप काफी काम किया गया।  


 


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