श्री पल्लिकेश्वर महादेव तीर्थ का महात्म्
हिमाचल प्रदेश प्राचीन काल से माता रानी की पूजा करें, भेंट चढ़ाएं, ही देवभूमि के रुप में प्रसिद्ध है और चंडी स्रोत्र का पाठ पढ़ें और हवन भी अनेक संस्कृत ग्रंथों एवं शास्त्रों में यहां करें, निश्चय ही आपकी के कोने-कोने में अवस्थित अनेकों तीर्थ मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। स्थलों और मंदिरों के इतिहास को शास्त्रों में ऐसा भी उल्लेख लिपिबद्ध किया गया है। त्रिगर्त प्रदेश मिलता है कि श्री पल्लिकेश्वर के रुप में प्रख्यात जिला कांगड़ा के तीर्थस्थल में प्राचीन काल में एक बै जनाथ शिवधाम और वहां के पल्ली नामक असुर पिशाचनी आसपास के देवस्थलों का जिक्र कई निवास करती थी और यहां के किताबों में पढ़ने को मिलता है। बाबा निवासियों को कई प्रकार से तंग बैजनाथ मंदिर से दस किलोमीटर दूर किया करती थी, कष्ट देती थी। संसाल में श्री मुकुटनाथ मंदिर और चार उसकी प्रताड़ना से तंग आकर यहां किलोमीटर दूर महाकाल मंदिर हैं तो के निवासियों ने भगवान सदाशिव वहीं बैजनाथ-पालमपुर राष्ट्रीय महेश महादेव जी की आराधना की। राजमार्ग पर टाशिजोंग के निकट श्री तब महादेव ने आद्या शक्ति मां दुर्गा पल्लिकेश्वर धाम भी स्थित है जो विश्व के साथ इस स्थान पर निवास किया प्रसिद्ध है। यहां वर्षपर्यत देश-विदेश से और पल्ली सहित उसके समस्त आबादी तथा कूड़े-कचरे के कारण यह भक्तजन और श्रद्धालु अपनी आस्था आसुरी समाज के प्रभाव को समाप्त नदी प्रदूषित हो चुकी है। अब लोग यहां और भक्ति के पुष्प चढ़ाने आते हैं। किया। मां दुर्गा ने यहां शिवगंगा की स्नान आदि से परहेज ही करते हैं। फिर स्थापना भी की। उसके बाद से लोग भी गया और इलाहाबाद आदि तीर्थो में अनुज यहां पर लिंग स्वरुप अवस्थित श्री जाने से पहले यहां श्राद्ध स्नान करके पल्लिकेश्वर महादेव जी की विधि उपरोक्त स्थानों पर जाने पर ही वहां श्री जालंधर पीठ महात्म्य के चतुर्थ विधान से पूजा अर्चना करने लगे। ऐसा किए गए पिंडदान का सुफल मिलता प्रकाश में उल्लेख आता है कि बैजनाथ भी एक उल्लेख मिलता है कि द्वापर है। श्री पल्लिकेश्वर मंदिर के बगल में तीर्थ क्षेत्र में स्थित बाबा बैजनाथ धाम, युग में यहां अनेक प्रकार की साधनाओं ही मां तारा देवी जी का मंदिर स्थित है। महाकाल और मुकुटनाथ धामों की का विकास हुआ और इस प्रकार से यह इस प्रकार इस तीर्थ स्थान में स्नान यात्रा के साथ-साथ मनोकामनाएं पूरी स्थान त्रिगर्त प्रदेश में साधना की दृष्टि दान और पूजा पाठ से प्राणियों के करने वाले श्री पल्लिकेश्वर महादेव से बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। बिना समस्त रोगों, पापों का समूल नाश हो मंदिर में श्रद्धालु अपनी आस्था एवं साधना संपन्न होने के चलते यहां तंत्र जाता है और वह जन्म मरण से परे भक्ति के पुष्प अर्पित करते हैं। शास्त्रों अनुष्ठान करना इत्यादि भी कम होकर ईश्वर के श्रीचरणों में समाहित हो के अनुसार धाम में शिवपूजा में रत जोखिम से भरा हुआ नहीं माना गया जाते हैं। होकर एक रात वहां रहें और सोलह है। इसलिए जानकार अधिकारी बैजनाथ धाम में सोमवार को और से मंत्र तत्ववेत्ता के परामर्श और निगरानी में उसके तरंत बाद महाकाल मंदिर में महेश्वर की पूजा करें. ब्राह्मणों को ही अनुष्ठान इत्यादि यहां संपन्न किए शनिवार के मेलों की शुरुआत हो जाती भोजन करवाएं और सम्मान पूर्वक जाने चाहिए। है। अतएव बाबा बैजनाथ के दर्शन यथाशक्ति दान दें यहां श्राद्ध और ऐसी मान्यता है कि यहां करने के बाद संसाल स्थित श्री मुकुट पिंडदान करने से पितरों को शाश्वत महादेवजी के दर्शन मात्र से ही समस्त नाथ मंदिर में और महाकाल स्थित श्री सद्गति मिलती है और तत्रस्थ नामक पापों का नाश हो जाता है और इस महाकाल जी के दर्शनों के बाद पुण्या पर शिवनदी में स्नान करने से तीर्थ के बगल में बहने वाली प्रन्या नदी टाशिजोंग के निकट स्थित पल्लिकेश्वर पुनर्जन्म नहीं होता है। श्री पल्लिकेश्वर में त्यौहारों पर स्नान इत्यादि करने से धाम जरूर जाकर अपनी पूजा अर्चना धाम के पश्चिम की ओर देवी मां अष्ट हरिद्वार तीर्थ के समान पुण्य लाभ करें और ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त भुजा का मंदिर है वहां 16 उपचारों से मिलता है। आज की तिथि में बढ़ती हुई करें।