नवीन एवं व्यवहारिक तकनीकी को समेकित करने के लिए राज्य को प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव केन्द्रीय मंत्री के समक्ष रखा-भूपेन्द्र चैधरी

लखनऊ, दिनांकः 14 जून, 2019

 

प्रदेश के पंचायतीराज राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भूपेन्द्र चैधरी ने भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिहं शेखावत की अध्यक्षता में विगत दिवस में नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित बैठक में अवगत कराया कि जो पूर्व में स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के क्रियान्वयन के लिए जो तंत्र विकसित किया गया था, जैसे कि स्वच्छाग्रहियों, निगरानी समिति आदि उन्हीं का सुदृढ़ीकरण कर तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान कर उक्त लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए हमे कोई नया तंत्र विकसित करने की आवश्यकता नहीं है। श्री चैधरी ने प्रशिक्षण आदि के लिए धनराशि की आवश्यकता को दृृष्टिगत रखते हुए केद्रीय मंत्री के समक्ष अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 

इस अवसर पर मंत्री श्री चैधरी ने यह भी अवगत कराया कि कार्यक्रम के अगले चरण में हमें ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन का कार्य करना है। जिसमें हमें ऐसी व्यवस्था तैयार करनी है जो पूर्व से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन के लिए परम्परागत रुप से अपनाई जाती रही है। इस प्रकार की तकनीकी का उपयेाग करना है, जो अत्यन्त सरल हो और जिसको कि ग्रामीण समुदाय आसानी से अपना सके व अपने स्तर पर उसका रख-रखाव कर सके और जिसमें अत्यधिक धनराशि का व्यय भी न हो। इसमें भारत सरकार से आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। 

श्री चैधरी ने बताया कि वर्तमान में भारत सरकार द्वारा जो मानक निर्धारित किए गये है, वह परिवारों की संख्या के आधार पर है तथा उसमें अधिकतम सीमा 20 लाख रूपये की निर्धारित है, जो अत्यन्त कम है, इतनी धनराशि में बड़ी ग्राम पंचायतो में ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन का कार्य सम्भव नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया कि ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबंधन हेतु परिवारों की संख्या के स्थान पर जनसंख्या को मानक बनाया जाए तथा जो धनराशि की अधिकतम सीमा है, उसको भी बढ़ाया जाए तथा नवीन एवं व्यवहारिक तकनीकी को समेकित करने के लिए राज्य को प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव केन्द्रीय मंत्री के समक्ष रखा। 

श्री चैधरी ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने बैठक में कहा कि ग्रामों के ओ0डी0एफ0 घोषित होने के उपरान्त उनमें स्थिरता ;ैनेजंपदंइपसपजलद्ध एवं निरन्तरता बनाए रखने के साथ-साथ ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबन्धन जिसमे की ग्रामीण क्षेत्र मे उत्सर्जित होने वाले कूड़े-कचरे तथा दूषित जल का उचित निप्टान कर गांवो को वास्तविक रूप में स्वच्छ बनाये रखने के लिए एक पूर्ण तन्त्र विकसित करने एवं वृृहद मात्रा में प्रशिक्षण आदि की आवश्यकता होगी। तभी योजना के असल उद््देश्य की प्राप्ति हो सकेगी। 

इस अवसर पर मिशन निदेशक स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, श्री आकाश दीप ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा सभी ग्रामीण परिवारेां को शत प्रतिशत स्वच्छता प्राप्त कराने हेतु माह नवम्बर-दिसम्बर 2018 में बेसलाइन सर्वे 2012 में छूटे हुए परिवारेां (एल.ओ.बी. परिवारो का वृृहद सर्वे कराया गया है, जिसमें 4432689 ऐसे पात्र परिवार पाए गए जिनका अभी इज्जतघर का निर्माण कराया जाना शेष था। भारत सरकार द्वारा 3641016 परिवारेां हेतु प्रोत्साहन की धनराशि उपलब्ध कराये जाने हेतु सहमति प्रदान की गई है, जिसमें से 1827229 परिवारों के इज्जतघरोें की जियो टैंगिंग की जा चुकी है। अवशेष धनराशि की मांग मा0 मंत्री जी द्वारा भारत सरकार के समक्ष रखी गयी है।

श्री आकाश दीप ने बताया कि बैठक में प्रमुख सचिव पंचायतीराज श्री अनुराग श्रीवास्तव, समस्त प्रदेशों के प्रतिनिधि ने प्रतिभाग किया।   

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