सुरेन्द्र अग्निहोत्री संपादक नूतन कहानियां लखनऊ, को सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित किया गया
साहित्य-मण्डल, श्रीनाथद्वारा ,उदयपुर राजस्थान के दो दिवसीय पाटोत्सव ब्रजभाषा समारोह का शुभारम्भ माँ वीणापाणि, गणपतिजी, प्रभु श्री श्रीनाथजी तथा श्रद्धेय बाबूजी भगवतीप्रसाद जी देवपुरा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्री रामलक्ष्मण जी गुप्त ने की। डॉ. मनोज मोहन शास्त्री मुख्य अतिथि रहे। विशिष्ट अतिथि पण्डित मदनमोहनजी शर्मा ‘अविचल’, श्री कैप्टन व्यास चतुर्वेदी जी, श्री राजमल जी परिहार व श्री जगदीशचंद्रजी शर्मा रहे।
माँ वीणापाणि की वन्दना श्री राधागोविन्द जी पाठक द्वारा की गई। श्रीनाथ वेद विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण किया गया। प्रभु श्री श्रीनाथजी की वन्दना श्री विट्ठल जी पारीक ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में साहित्य मण्डल विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा गीत, नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई।
ब्रजभाषा उपनिषद के अंतर्गत डॉ. श्रीकृष्णजी शरद, कासगंज द्वारा ‘ब्रजभाषा कवियों का रचनाधर्म रू आध्यात्मिक चिंतन’ विषय पर, श्री रघुवीरसिंहजी ‘अरविंद’, अलीगढ़ ने ‘ब्रजभाषा काव्य की रूढ़ियों से विद्रोह’ विषय पर, श्री सुरेन्द्रजी सार्थक, डीग द्वारा ‘गुरु गोविन्दसिंह जी का ब्रजभाषा प्रेम’ विषय पर तथा आचार्य विष्णुशरणजी भारद्वाज, आरियाखेड़ा ने ‘सावंत सिंह नागरीदास का रचना संसार’ विषय पर आलेख वाचन किया।
सम्मान के क्रम में श्री सुरेन्द्रजी अग्निहोत्री,संपादक नूतन कहानियां, लखनऊ, श्री प्रिंस अभिषेकजी अज्ञानी, भोपाल, श्री प्रेमशंकरजी अवस्थी, फतेहपुर को सम्पादक शिरोमणि की मानद उपाधि से विभूषित किया गया तथा श्री अम्बालालजी कुमावत, श्री अमृतलालजी शर्मा, श्री नरहरिजी चैधरी, श्री रघुनन्दनजी सनाढ्य, श्री वासुदेवजी लोधा, श्री श्यामजी शर्मा, श्री जगमोहनजी अरोड़ा एवं श्री रमेशजी बागोरा को श्रीनाथद्वारा रत्न से की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
प्रदत्त समस्यापूर्ति चरण ‘लजात है’ घनाक्षरी व ‘रसखान है’ हरिगीतिका छन्द में डॉ. अंजीवजी ‘अंजुम’, श्री रामबाबूजी विद्रोही, श्री सुनीलजी पाराशर सरल, श्री नानकचंदजी शर्मा नवीन, श्री हरिओमजी हरि, श्री मूलचन्दजी शर्मा, श्री अशोकजी अज्ञ, श्री राधागोविन्दजी पाठक ने सराहनीय प्रस्तुति दी।
समस्या पूर्ति के अन्तर्गत प्रदत्त समस्या ‘लजात है’ घनाक्षरी व ‘रसखान है’ हरिगीतिका छन्द पर पूर्ति श्री सर्वोत्तमजी त्रिवेदी, कामवन, डॉ.भगवानजी मकरन्द, कामवन, श्री शिवरामजी ‘शिव’, कामवन, श्री गोविन्दजी ब्रजवासी, कामवन, श्री धर्मेन्द्रसिंहजी ‘धरम’, मैनपुरी, श्री जितेन्द्रजी सनाढ्य, नाथद्वारा ने प्रस्तुत की।
संस्था द्वारा सभी सम्मानित महनुभावों को शॉल, उत्तरीय, कण्ठहार, मेवाड़ी पगड़ी, श्रीफल, श्रीनाथजी का प्रसाद, श्रीनाथजी की छवि व उपाधि पत्र प्रदान किए गए। सभी मंचासीन अतिथियों ने कार्यक्रम एवं साहित्य मण्डल की गतिविधियों के सन्दर्भ में अपने उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन श्री श्यामप्रकाशजी देवपुरा ने किया। सभी सम्मानित साहित्यकारों का गद्यात्मक एवं पद्यात्मक परिचय श्री विट्ठलजी पारीक ने किया।