-:शबे दीवाली में आयी दियों की बेला है :-
-:शबे दीवाली में आयी दियों की बेला है :-
दरो दीवार पर रोशन दियों का मेला है!
हर इक दिशा में रंगों का नूर फैला है!
हे मुस्कुराहट खुशियों का जोश हर दिल में
कली की खुशबू फूलों का रंग रूपहला है।
कहीं छुपी है सितारों में चांदनी की चमक
कहीं पर चंपा गेंदे का रंग नशीला है।
रंगोलिओं के रंग में वह आहटो की रमक
चमकते तारों से निकली वह फुलझड़ी की झनक
हर इक रुप में फूटी है चाहतों की धनक
शबे दीवाली में आई दियों की बेला है!
गुलाबी रंगी घटा कुछ फिजा में महकी सी
शगुन रंग की छटा बादलों में बहकी सी
बदलते मौसम की लाली हवा में बहती थी
वह खुश घड़ी का बन के पयाम हर दिल में
अमन के जाम और गीतों के तोहफ़े लाये हैं
राम जी अब सहरा से लौट आये हैं
दिलों में प्यार की बस्ती बसाने की खातिर
वह सब के बीच एक सेतु बनाने आये हैं
पवित्र सीता परी- प्यारे भाई लक्ष्मण को
सितारों -चांद के वह कारवाँ में लाये हैं
वह तख्तो-ताज को उसूलों पर रख के निकले थे
उसी कसम को फिर से निभाने आये हैं
अकीदतों से भरे राम बन से आये हैं
हर इक लम्हा वह सदियों से बाँट आये हैं।
-सरताज प्रवीन सबीना