बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में यूथ इंगेजमेंट वर्कशॉप का आयोजन

 



लखनऊ ,बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में यूथ
इंगेजमेंट वर्कशॉप का आयोजन विवि की एन एस एस इकाई द्वारा किया गया। वर्कशॉप की
थीम "इट्स टाइम वी एंड टीबी" रही । कार्यक्रम विवि के पर्यावरण विज्ञान विद्यापीठ के
सभागार में आयोजित हुआ जिसमें डॉ एमडी इमरान खान  (असिस्टेंट डायरेक्टर, ममता
एचआईएमसी), डॉ संतोष गुप्ता (स्टेट टीबी ऑफिसर, लखनऊ), डॉ अंशुमाली शर्मा (एनएसएस
सेल), प्रो0 बी0  एस0 भदौरिया (डीएसडब्लू), डॉ वी0 के0 सोनकर, डॉ सईद बिलाल हसन, मिस
शुब्रा त्रिवेदी (स्टेट लीड- ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फ़ॉर मदर एंड चाइल्ड, यूपी) , डॉ उमेश
त्रिपाठी, डॉ ऋषि सक्सेना मंच पर उपस्थित रहें। 
कार्यक्रम अधिकारी डॉ पवन कुमार चैरसिया ने सभी अतिथियों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं
शिक्षकों का स्वागत करते हुए बताया कि कार्यक्रम में टीबी से सम्बंधित जानकारी
विद्यार्थियों को दी जाएगी ताकि आगे इस समस्या से निपटने में युवा आगे अपनी सक्रिय
भागीदारी निभा सकें। 
डॉ संतोष गुप्ता ने बताया कि टीबी की बीमारी को खत्म करना हमारी प्राथमिकता है और
इसको लेकर सरकार द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विश्व
क्षय रोग दिवस 24 मार्च से हमने 1 सप्ताह तक चलने वाला एक जागरूकता अभियान शुरू
किया और इसी के तहत हमने यह कार्यशाला आज बीबीएयू में आयोजित की है। इसके तहत
हम युवाओं के सहयोग से क्षय रोग को खत्म करने के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने बताया कि
सरकारी स्तर पर इस दिशा में कई प्रयास किये जा रहे हैं मगर जागरूकता की कमी के
कारण आज भी भारत मे विश्व के लगभग 27 प्रतिशत व्यक्ति इस रोग से पीड़ित हैं जिसमे
20 प्रतिशत लोग सिर्फ उत्तर प्रदेश से हैं, इसलिए यहां पर जागरूकता फैलाने की बहुत जरूरत
है। उन्होंने पल्मोनरी टीबी का ज़िक्र किया और कहा कि वैसे तो टीबी शरीर के लगभग हर
हिस्से को प्रभावित कर सकता है मगर पल्मोनरी टीबी सबसे खतरनाक होता है। टीबी के
रोकथाम के लिए जागरूकता लानी होगी। लोगो को बताना होगा कि ऐसी अवस्था मे रोगी
मास्क का इस्तेमाल करे, खांसी आने पर बलगम की जांच कराए, पूरा उपचार आवश्यक है
अन्यथा यह रोग दुबारा उभर आता है और उस स्थिति में उपचार और भी ज्यादा मुश्किल हो
जाता है। सरकार द्वारा हर रोगी को 500 रुपए की धनराशि भी दी जा रही है ताकि इस
दौरान वह पोषण युक्त भोजन कर सके। अब सबसे बड़ीआवश्यकता है तो लोगों को जागरूक
करने की और ऐसे लोगों को सही राह दिखाने की जिन्हें सही उपचार नही मिल पा रहा है
और यह कार्य युवाओं के सहयोग से संभव हो सकता है। 


डॉ अंशुमाली शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के पास पर्याप्त मात्रा में युवा
शक्ति है। और इस कार्य मे युवा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। यदि एनएसएस और
स्टेट टीबी प्रोग्राम के सदस्य मिलकर काम करे तो भविष्य में सकारात्मक बदलाव देखने को
मिलेंगे और टीबी की जिस समस्या से हम निकलने का प्रयास कर रहें हैं, उसमे कामयाबी
मिलेगी। 
प्रो0 बी0 एस0 भदौरिया ने सभी विद्यार्थियों और एनएसएस कैडेट्स को इस कार्यशाला में
आगे बढ़कर भाग लेने को कहा। इस मौके पर डॉ सईद बिलाल हसन और उनकी टीम द्वारा
टीबी जागरूकता पर आधारित एक लघु फ़िल्म भी दिखाई गई। डॉ ऋषि सक्सेना ने
विद्यार्थियों से टीबी से जुड़े भ्रामक तथ्यों पर बात की जिसमे सभी विद्यार्थियों ने खुलकर
अपनी बात रखी और कई सवाल भी पूछे। 
कार्यक्रम के अंत मे मिस शुब्रा द्वारा सभी अतिथियों, विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं एनएसएस
कैडेट्स का कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस


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