आजमगढ़ संसदीय सीट से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की हलचल

आजमगढ़ | 
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की दर्जनों लोकसभा सीटों को प्रभावित करने वाली आजमगढ़ संसदीय सीट से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने की जोर पकड़ रही चर्चा से अन्य दोनों में काफी हलचल मची है| पिछली बार मुलायम सिंह को आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा कर समाजवादी पार्टी ने पूर्वांचल की दर्जनों संसदीय सीटों को साधने का प्रयास अवश्य किया था परंतु मोदी की आंधी के चलते बमुश्किल मुलायम सिंह ही अपना चुनाव जीत सके थे जबकि आसपास की आधा दर्जन सीटों पर सपा को उसकी उम्मीद के अनुरूप तनिक भी सफलता नहीं मिल पाई| आजमगढ़ जौनपुर मऊ और इससे सटे कई जनपदों में खासा असर रखने वाली सपा 2014 में मोदी लहर के चलते काफी कुछ गवा चुकी है परंतु 2019 के चुनाव में अखिलेश यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा के पीछे पूर्वांचल की इन्हीं सीटो को पुन साधने की कवायद मानी जा रही है |
हालांकि आजमगढ़ बलिया मऊ जौनपुर लालगंज चंदौली गाजीपुर की सीट पर एक बार पुनः अपना दबदबा कायम करने के लिए समाजवादी पार्टी को एड़ी से चोटी का बल लगाना पड़ेगा |
आजमगढ़ की लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 1971 तक पांच बार लगातार कांग्रेसका पर लहराता रहा |1977 में जनता पार्टी की लहर में राम नरेश यादव ने कांग्रेसियों के  किले को तोड़ने में कामयाबी हासिल की | परंतु अगले ही साल हुए चुनाव में मोहसिना किदवई ने राम नरेश यादव को हराकर कांग्रेस का कब्जा जमा दिया | 1984 में कांग्रेस के संतोष यादव चुनाव जीते |1989 में बसपा के रामकृष्ण तो 1991 में जनता पार्टी के चंद्रजीत यादव सांसद चुने गए | इसके बाद 1996 से लेकर 2008 तक बारी बारी से सपा बसपा के लोग जीतते रहे | 2009 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में रमाकांत यादव ने जीत हासिल की और पिछली लोकसभा 2014 के चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का परचम फहराया |हालांकि मुलायम सिंह यादव 2014 में मैनपुरी से भी चुनाव जीते थे लेकिन आजमगढ़ और उसके आसपास की सीटों पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व और प्रभाव बनाए रखने के लिए उन्होंने मैनपुरी से इस्तीफा देकर आजमगढ़ से ही लोकसभा में अपनी रहनुमाई की | 
2014 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह यादव , भाजपा से रमाकांत यादव, बहुजन समाज पार्टी से साहआलम और कांग्रेस पार्टी से अरविंद जायसवाल तथा राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल से आमिर रशादी ने  चुनाव लड़ा था | 2014 में समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार थी | 
जनपद में कई प्रदेश सरकार के मंत्री भी थे बावजूद इसके कांटे की टक्कर देने में भाजपा प्रत्याशी रमाकांत यादव सफल रहे और राष्ट्रीय राजनीति में अपना एक प्रमुख स्थान रखने वाले मुलायम सिंह मात्र 63204 मतों के अंतर से ही चुनाव जीत सके | 2019 में एक बार आजमगढ़ को केंद्र बना कर समाजवादी पार्टी आजमगढ़ मऊ बलिया लालगंज जौनपुर चंदौली अंबेडकर नगर गाजीपुर सहित दर्जनों सीटों पर गठबंधन की जीत कराने की कवायद शुरू कर दी है |इस क्रम मे ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आजमगढ़ से चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है|अधिकृत रूप से घोषणा भले ना हुई हो लेकिन सपा के कार्यकर्ताओं के चेहरे जहां खिल गए हैं वहीं अन्य दलों की चेहरे कहीं न कहीं निश्चित रूप से मुरझाए हुए हैं | सपा बसपा के गठबंधन के बाद आजमगढ़ की  सीट पर सपा को लोग काफी मजबूत मान रहे हैं बावजूद इसके अन्य पिछड़ा और अन्य अनुसूचित सहित सामान्य वर्ग के मतदाताओं को यदि बटोरने में भारतीय जनता पार्टी सफल रही तो चुनाव बड़ा ही कांटे का होगा  इससे कतई इंकार नहीं किया जा सकता | 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में  2014 में वाराणसी से लड़ने के चलते पूर्वांचल की सीटों पर भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से अपना प्रभाव कायम की | 2019 में उससे भी बेहतर करना चाह रही है | 

आजमगढ़ से  अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने  की  चर्चा को लोग  मोदी को  वाराणसी सहित  पूर्वांचल में  सीधी टक्कर देने और घेरने की  सोची समझी रणनीति मान रहे हैं | इस  रणनीति व कूटनीति में  समाजवादी नेता   अखिलेश यादव कितने  सफल होंगे  यह तो आने वाला चुनाव का परिणाम ही बताएगा | लेकिन लेकिन पूर्वांचल को साधने के लिए सबने अपनी अपनी  तरकश से तीर निकालना  शुरूt कर दिया है |

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