कवि कैलाश मड़बैया को मिला ‘बुन्देल भूषण ’राष्ट्ीय अलंकरण


भोपाल 12 फरवरी, मध्यदशीय परिक्षेत्र में संस्कार धानी नाम से जाने माने नगर जबलपुर में बसंत पंचमी पर अभूतपूर्व साहित्यिक समारोह मध्यप्रदेष की समस्त प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं ने प्रख्यात कवि कैलाष मड़बैया भोपाल के 75 वें जन्म वर्ष पर उनका ऐतिहासिक अमृत महोत्सव मनाकर संयोजित किया। उल्लेखनीय है कि श्री कैलाष मड़बैया को गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार / राष्ट्पति द्वारा देष के सर्वाेच्च सम्मान पद्म श्री से अलंकृत करने की घोषणा की है जिससे सम्पूर्ण साहित्य जगत में खुषियाॅं विखर विखर पड़ रही हैं। गुॅुजन कला सदन, वर्तिका परिषद, लेखिका संघ, अनेकान्त, बुन्देलखण्ड परिषद, लेाक संस्थान, इत्यादि इक्कीस संस्थाओं द्वारा श्री कैलाष मड़बैया को ‘बुन्देल भूषण’ उपाधि से पाग,अंग वस्त्र, प्रथक प्रथक अभिनन्दन पत्र, साॅल, साहित्य ,रतन और श्रीफल आदि भेट कर गीत संगीत के साथ अभिनंदित किया। ज्ञातव्य के साठ वर्षो सं निरृतर सृजन रत रह श्री कैलाष मड़बैया जी ने दर्जनों मौलिक ग्रंथ रचे हैं। वे जबलपुर में ज्वायण्ट कमिष्नर कोआपेरषन पद पर भी रहे हैं और उनका गहरा लगाव मध देष के जबलपुर सहित अनेक नगरों से सीधा रहा है। श्री मड़बैया ने आभार ज्ञाापित करते हुये कहा कि यह सर्वोच्च सम्मान महान बुन्देली साहित्य और संस्कृति का है जिसके लिये उन्होंने भारत सरकार और राष्ट्पति का अभार भी जताया। श्री चतुर्वेदी, श्री भगवत दुबे, राजकुमार सुमित्र, लक्ष्मी शर्मा, मनोज शुक्ल, डी.के.जैन, राम नायक, नरेन्द्र जैन, रतन,द्वारका गुप्त , संतोष नेमा आदि सैकड़ों प्रमुख साहित्यकारों ने श्री कैलाष मड़बैया को अपने वक्तब्यों में उनके मौलिक और अद्वितीय सृजन को देष का गौरव निरुपित किया। समापन सत्र में श्री कैलाष मड़बैया की ही अध्यक्षता में राष्ट्ीय कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ जो रात्रि के अन्तिम पहर तक चला। श्री कैलाष मड़बैया के काव्य पाठ पर सभी आष्चर्य चकित हो वाह वाह कह उठे और कह उठे कि सचमुच वे भारत के पद्म श्री हैं। आभार प्रदर्षन भगवत दुबे और मनोज शुक्ल ने किया।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?