अध्यात्म विचारकुम्भ में श्रोताओं ने लगायी डुबकी
अध्यात्म पर केंद्रित धर्म और कर्म पर आधारित शून्य नोबेल का हुआ विमोचन
सप्तश्री आदित्य की जुगलबंदी ने जमाया रंग, तो श्रोताओं ने पूछे श्री एम से पूछा शून्य पर केंद्रित आध्यात्म व् जीवनशैली पर विभिन्न सवाल
उज्जैन / कोलकाता : आध्यात्म को एक अलग नजरिये से दर्शाने वाले अंतर्राष्ट्रीय अध्यात्म एवं मानवता के प्रचारक एम द्वारा ३ फ़रवरी को अध्यात्म एवं कला की महानगरी कोलकाता में "शून्य" नामक उपन्यास का विमोचन देश - विदेश से आये आध्यात्म के अनुयायिओं के समक्ष किया गया.
उक्त आयोजन में धर्म परिवेश का आगाज संगीत मार्तण्ड पद्मविभूषण पंडित जसराज के सुयोग्य शिष्य सप्तर्षि चक्रवर्ती एवं पद्मश्री पंडित स्वपन चौधरी के सुयोग्य शिष्य आदित्य नारायण बनर्जी के जुगलबंदी के साथ शुभारम्भ हुआ.
मेरो अल्लाह मेहरबान.... बंदिश के साथ शुरू किये आयोजन में तबलावादक आदित्य नारायण बैनर्जी ने बताया कि सप्तर्षि जी ने जो "मेरो अल्लाह मेहरबान...." बंदिश गाये है वह हम श्री एम को डेडिकेट करते है क्योंकि इस्लाम परिवार में जन्म लेने वाले श्री एम ने हिन्दू ब्राह्मण लड़की से विवाह कर हिन्दू संस्कृति एवं आध्यात्म के साथ मानवता का जिस तरह प्रचार प्रसार कर रहे है. वह धर्म एकता का बेहद सुन्दर उदाहरण है.
शून्य को लेकर श्रोताओं ने किये सवाल - श्री एम ने मुस्कराहट के साथ दिए जवाब
आयोजन में देश - विदेश से अध्यात्म अनुयायियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर श्रोताओं ने शून्य से सम्बंधित अपने मन के प्रश्नों को श्री एम से पूछे जिस पर श्री एम ने बेहद सुन्दर जवाब के साथ शून्य को पढ़ने कि उत्सुकता और बढ़ा दिया.