साठ पार कर चुके लोगों के लिए ये सच्चा उदहारण कभी पुराना नहीं होगा
साठ साल की उम्र पर दो दोस्त ए और बी एक साथ रिटायर हुए | दोनों ने ही पैंतीस साल तक मेहनत वाले फील्ड जॉब किये थे , पर्याप्त धन कमाए थे और स्वस्थ भी थे |
ए ने कुछ ही महीने में एक दूसरी कम मेहनत की जॉब पकड़ ली | ए ने पहले से ही ये सोच लिया था कि उसे पैसे के लिए नहीं बल्कि खुद को सक्रिय और व्यस्त रखने के लिए कुछ करना है | ए के लिए रिटायर होने का मतलब पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाना नहीं था और इसीलिये ए ने अपने आपको व्यस्त रखने का लाभप्रद उपाय ढूंढ लिया |
कुछ माह बाद दोनों दोस्त कहीं मिले तो पता चला कि बी ने पूरे तौर पर आराम की जिंदगी बिताना पसंद किया है | बी ने ये भी कहा कि अब उसे काम करने की जरूरत ही क्या है ? अच्छी खासी पेंशन भी तो मिलती है !
दो तीन साल के बाद वे फिर मिले तब भी यही स्थिति थी | लेकिन इस बार बी ने एक नयी बात बताई कि अब तो उसकी काम करने की इच्छा ही ख़त्म हो चुकी है | आराम की ऐसी आदत पड़ गयी है कि कुछ भी करने का मन ही नहीं होता |
दो साल बाद वे फिर मिले | इस बार बी सचमुच दुखी था | उसने कहा कि उसे कई बीमारियों ने पकड़ लिया है | अब वो चाहे भी तो भी कुछ करने में असमर्थ है | इलाज में पैसे खर्च हो रहे हैं | बचाया धन और पेंशन भी उसी पर खर्च करना पड़ रहा है |
दस साल बाद ए को पता चला कि सत्तर साल की उम्र में उसका दोस्त बी दिवंगत हो चुका है |
पचहत्तर साल की उम्र में भी स्वस्थ रहकर ए अपने काम को कर रहा था | इतने सालों से उसे जो पेंशन मिली उसे तो उसने छुआ तक नहीं था |
नोट नंबर 1
ये कोई कहानी नहीं है | ये सच्ची घटना है | तमाम विकसित देशों में काम से रिटायर होने की कोई उम्र ही नहीं है | हाँ , ये जरूर है कि आपको कोई भी काम करने से परहेज़ नहीं होना चाहिए |
कुछ लोग आराम का जीवन बिताते है तो आराम उन्हें बीमार बना देता है और जो लोग अपने शरीर को पहले की तरह काम का अभ्यस्त बनाए रखते हैं वे स्वस्थ भी रहते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत भी बने रहते हैं |
आपकी जीवन शैली तय करती है कि आपका बुढ़ापा कैसा कटेगा |
व्यस्त रहने के लिए दुबारा नौकरी करना भी जरूरी नहीं | बस खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्त रखने के लिए कुछ भी करना चाहिये | बागबानी , घर की साफ़ सफाई , छोटे मोटे घरेलू कामों की जिम्मेदारी लेना , उसे बराबर करना , नियमित भ्रमण , पढ़ना लिखना या कोई भी मनपसंद हॉबी को करना ! सबसे बेहतर तो ये है कि आप ऐसे काम करें कि आप अपने समाज को कुछ लौटा सकें ,समाज सेवा एवँ मानव सेवा सर्वोत्तम है। कुछ ऐसा कि जो आपको आत्मसंतोष भी दे और किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े | समाज से लेने का जो सुख आपको मिला है उसे कृतज्ञतापूर्वक लौटाने का यही सही समय है |
ये सब करके आप स्वस्थ रहेंगे और दवाओं पर पैसे कम से कम खर्च होंगे | इन्हीं पैसों से आप अपने खानपान की क्वालिटी सुधार कर कुछ और भी वर्षों तक सुन्दर जीवन का आनंद उठा सकते हैं |
ये कहावत कितनी सटीक है ....
जीवन शैली और खानपान यदि दवा की जगह ले ले तो दवा की कभी जरूरत ही न पड़े !
नोट नम्बर 2
इस कहानी का पचहत्तर साल का ए नाम का व्यक्ति आज भी साइट पर प्रति सप्ताह चालीस घन्टे ख़ुशी ख़ुशी काम करता है और अच्छे खुशनुमा गर्मी की छुट्टियों वाले जून और जुलाई के महीनों में बाहर घूमने निकल जाता है ! वो अभी अपनी दूसरी पारी जमकर खेल रहा है | पहली पारी में वो पहले ही अच्छा परफार्म कर चुका है । हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनाकर समाज को बहुत कुछ देने का प्रयास करना चाहिये।देश,समाज,धर्म,परिवार ने हमको बहुत कुछ दिया है, उसे हमे समय रहते लौटा देना चाहिये। जो भी दायित्व हमको मिले है उनका ईमानदारी से पालन करना चाहिये।तभी मानव जीवन का सही उद्देश्य पूर्ण होगा। क्यो कि कुछ लेकर नही आये थे,न कुछ लेकर जाना है।यहाँ जो कुछ मिला है,पूरी ईमानदारी से यही वापस भी कर जाना है।ऐसा मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य की श्रेणी में आता है।
साठ साल की उम्र पर दो दोस्त ए और बी एक साथ रिटायर हुए | दोनों ने ही पैंतीस साल तक मेहनत वाले फील्ड जॉब किये थे , पर्याप्त धन कमाए थे और स्वस्थ भी थे |
ए ने कुछ ही महीने में एक दूसरी कम मेहनत की जॉब पकड़ ली | ए ने पहले से ही ये सोच लिया था कि उसे पैसे के लिए नहीं बल्कि खुद को सक्रिय और व्यस्त रखने के लिए कुछ करना है | ए के लिए रिटायर होने का मतलब पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाना नहीं था और इसीलिये ए ने अपने आपको व्यस्त रखने का लाभप्रद उपाय ढूंढ लिया |
कुछ माह बाद दोनों दोस्त कहीं मिले तो पता चला कि बी ने पूरे तौर पर आराम की जिंदगी बिताना पसंद किया है | बी ने ये भी कहा कि अब उसे काम करने की जरूरत ही क्या है ? अच्छी खासी पेंशन भी तो मिलती है !
दो तीन साल के बाद वे फिर मिले तब भी यही स्थिति थी | लेकिन इस बार बी ने एक नयी बात बताई कि अब तो उसकी काम करने की इच्छा ही ख़त्म हो चुकी है | आराम की ऐसी आदत पड़ गयी है कि कुछ भी करने का मन ही नहीं होता |
दो साल बाद वे फिर मिले | इस बार बी सचमुच दुखी था | उसने कहा कि उसे कई बीमारियों ने पकड़ लिया है | अब वो चाहे भी तो भी कुछ करने में असमर्थ है | इलाज में पैसे खर्च हो रहे हैं | बचाया धन और पेंशन भी उसी पर खर्च करना पड़ रहा है |
दस साल बाद ए को पता चला कि सत्तर साल की उम्र में उसका दोस्त बी दिवंगत हो चुका है |
पचहत्तर साल की उम्र में भी स्वस्थ रहकर ए अपने काम को कर रहा था | इतने सालों से उसे जो पेंशन मिली उसे तो उसने छुआ तक नहीं था |
नोट नंबर 1
ये कोई कहानी नहीं है | ये सच्ची घटना है | तमाम विकसित देशों में काम से रिटायर होने की कोई उम्र ही नहीं है | हाँ , ये जरूर है कि आपको कोई भी काम करने से परहेज़ नहीं होना चाहिए |
कुछ लोग आराम का जीवन बिताते है तो आराम उन्हें बीमार बना देता है और जो लोग अपने शरीर को पहले की तरह काम का अभ्यस्त बनाए रखते हैं वे स्वस्थ भी रहते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत भी बने रहते हैं |
आपकी जीवन शैली तय करती है कि आपका बुढ़ापा कैसा कटेगा |
व्यस्त रहने के लिए दुबारा नौकरी करना भी जरूरी नहीं | बस खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्त रखने के लिए कुछ भी करना चाहिये | बागबानी , घर की साफ़ सफाई , छोटे मोटे घरेलू कामों की जिम्मेदारी लेना , उसे बराबर करना , नियमित भ्रमण , पढ़ना लिखना या कोई भी मनपसंद हॉबी को करना ! सबसे बेहतर तो ये है कि आप ऐसे काम करें कि आप अपने समाज को कुछ लौटा सकें ,समाज सेवा एवँ मानव सेवा सर्वोत्तम है। कुछ ऐसा कि जो आपको आत्मसंतोष भी दे और किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े | समाज से लेने का जो सुख आपको मिला है उसे कृतज्ञतापूर्वक लौटाने का यही सही समय है |
ये सब करके आप स्वस्थ रहेंगे और दवाओं पर पैसे कम से कम खर्च होंगे | इन्हीं पैसों से आप अपने खानपान की क्वालिटी सुधार कर कुछ और भी वर्षों तक सुन्दर जीवन का आनंद उठा सकते हैं |
ये कहावत कितनी सटीक है ....
जीवन शैली और खानपान यदि दवा की जगह ले ले तो दवा की कभी जरूरत ही न पड़े !
नोट नम्बर 2
इस कहानी का पचहत्तर साल का ए नाम का व्यक्ति आज भी साइट पर प्रति सप्ताह चालीस घन्टे ख़ुशी ख़ुशी काम करता है और अच्छे खुशनुमा गर्मी की छुट्टियों वाले जून और जुलाई के महीनों में बाहर घूमने निकल जाता है ! वो अभी अपनी दूसरी पारी जमकर खेल रहा है | पहली पारी में वो पहले ही अच्छा परफार्म कर चुका है । हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनाकर समाज को बहुत कुछ देने का प्रयास करना चाहिये।देश,समाज,धर्म,परिवार ने हमको बहुत कुछ दिया है, उसे हमे समय रहते लौटा देना चाहिये। जो भी दायित्व हमको मिले है उनका ईमानदारी से पालन करना चाहिये।तभी मानव जीवन का सही उद्देश्य पूर्ण होगा। क्यो कि कुछ लेकर नही आये थे,न कुछ लेकर जाना है।यहाँ जो कुछ मिला है,पूरी ईमानदारी से यही वापस भी कर जाना है।ऐसा मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य की श्रेणी में आता है।
साठ साल की उम्र पर दो दोस्त ए और बी एक साथ रिटायर हुए | दोनों ने ही पैंतीस साल तक मेहनत वाले फील्ड जॉब किये थे , पर्याप्त धन कमाए थे और स्वस्थ भी थे |
ए ने कुछ ही महीने में एक दूसरी कम मेहनत की जॉब पकड़ ली | ए ने पहले से ही ये सोच लिया था कि उसे पैसे के लिए नहीं बल्कि खुद को सक्रिय और व्यस्त रखने के लिए कुछ करना है | ए के लिए रिटायर होने का मतलब पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाना नहीं था और इसीलिये ए ने अपने आपको व्यस्त रखने का लाभप्रद उपाय ढूंढ लिया |
कुछ माह बाद दोनों दोस्त कहीं मिले तो पता चला कि बी ने पूरे तौर पर आराम की जिंदगी बिताना पसंद किया है | बी ने ये भी कहा कि अब उसे काम करने की जरूरत ही क्या है ? अच्छी खासी पेंशन भी तो मिलती है !
दो तीन साल के बाद वे फिर मिले तब भी यही स्थिति थी | लेकिन इस बार बी ने एक नयी बात बताई कि अब तो उसकी काम करने की इच्छा ही ख़त्म हो चुकी है | आराम की ऐसी आदत पड़ गयी है कि कुछ भी करने का मन ही नहीं होता |
दो साल बाद वे फिर मिले | इस बार बी सचमुच दुखी था | उसने कहा कि उसे कई बीमारियों ने पकड़ लिया है | अब वो चाहे भी तो भी कुछ करने में असमर्थ है | इलाज में पैसे खर्च हो रहे हैं | बचाया धन और पेंशन भी उसी पर खर्च करना पड़ रहा है |
दस साल बाद ए को पता चला कि सत्तर साल की उम्र में उसका दोस्त बी दिवंगत हो चुका है |
पचहत्तर साल की उम्र में भी स्वस्थ रहकर ए अपने काम को कर रहा था | इतने सालों से उसे जो पेंशन मिली उसे तो उसने छुआ तक नहीं था |
नोट नंबर 1
ये कोई कहानी नहीं है | ये सच्ची घटना है | तमाम विकसित देशों में काम से रिटायर होने की कोई उम्र ही नहीं है | हाँ , ये जरूर है कि आपको कोई भी काम करने से परहेज़ नहीं होना चाहिए |
कुछ लोग आराम का जीवन बिताते है तो आराम उन्हें बीमार बना देता है और जो लोग अपने शरीर को पहले की तरह काम का अभ्यस्त बनाए रखते हैं वे स्वस्थ भी रहते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत भी बने रहते हैं |
आपकी जीवन शैली तय करती है कि आपका बुढ़ापा कैसा कटेगा |
व्यस्त रहने के लिए दुबारा नौकरी करना भी जरूरी नहीं | बस खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्त रखने के लिए कुछ भी करना चाहिये | बागबानी , घर की साफ़ सफाई , छोटे मोटे घरेलू कामों की जिम्मेदारी लेना , उसे बराबर करना , नियमित भ्रमण , पढ़ना लिखना या कोई भी मनपसंद हॉबी को करना ! सबसे बेहतर तो ये है कि आप ऐसे काम करें कि आप अपने समाज को कुछ लौटा सकें ,समाज सेवा एवँ मानव सेवा सर्वोत्तम है। कुछ ऐसा कि जो आपको आत्मसंतोष भी दे और किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े | समाज से लेने का जो सुख आपको मिला है उसे कृतज्ञतापूर्वक लौटाने का यही सही समय है |
ये सब करके आप स्वस्थ रहेंगे और दवाओं पर पैसे कम से कम खर्च होंगे | इन्हीं पैसों से आप अपने खानपान की क्वालिटी सुधार कर कुछ और भी वर्षों तक सुन्दर जीवन का आनंद उठा सकते हैं |
ये कहावत कितनी सटीक है ....
जीवन शैली और खानपान यदि दवा की जगह ले ले तो दवा की कभी जरूरत ही न पड़े !
नोट नम्बर 2
इस कहानी का पचहत्तर साल का ए नाम का व्यक्ति आज भी साइट पर प्रति सप्ताह चालीस घन्टे ख़ुशी ख़ुशी काम करता है और अच्छे खुशनुमा गर्मी की छुट्टियों वाले जून और जुलाई के महीनों में बाहर घूमने निकल जाता है ! वो अभी अपनी दूसरी पारी जमकर खेल रहा है | पहली पारी में वो पहले ही अच्छा परफार्म कर चुका है । हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनाकर समाज को बहुत कुछ देने का प्रयास करना चाहिये।देश,समाज,धर्म,परिवार ने हमको बहुत कुछ दिया है, उसे हमे समय रहते लौटा देना चाहिये। जो भी दायित्व हमको मिले है उनका ईमानदारी से पालन करना चाहिये।तभी मानव जीवन का सही उद्देश्य पूर्ण होगा। क्यो कि कुछ लेकर नही आये थे,न कुछ लेकर जाना है।यहाँ जो कुछ मिला है,पूरी ईमानदारी से यही वापस भी कर जाना है।ऐसा मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य की श्रेणी में आता है।
साठ साल की उम्र पर दो दोस्त ए और बी एक साथ रिटायर हुए | दोनों ने ही पैंतीस साल तक मेहनत वाले फील्ड जॉब किये थे , पर्याप्त धन कमाए थे और स्वस्थ भी थे |
ए ने कुछ ही महीने में एक दूसरी कम मेहनत की जॉब पकड़ ली | ए ने पहले से ही ये सोच लिया था कि उसे पैसे के लिए नहीं बल्कि खुद को सक्रिय और व्यस्त रखने के लिए कुछ करना है | ए के लिए रिटायर होने का मतलब पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाना नहीं था और इसीलिये ए ने अपने आपको व्यस्त रखने का लाभप्रद उपाय ढूंढ लिया |
कुछ माह बाद दोनों दोस्त कहीं मिले तो पता चला कि बी ने पूरे तौर पर आराम की जिंदगी बिताना पसंद किया है | बी ने ये भी कहा कि अब उसे काम करने की जरूरत ही क्या है ? अच्छी खासी पेंशन भी तो मिलती है !
दो तीन साल के बाद वे फिर मिले तब भी यही स्थिति थी | लेकिन इस बार बी ने एक नयी बात बताई कि अब तो उसकी काम करने की इच्छा ही ख़त्म हो चुकी है | आराम की ऐसी आदत पड़ गयी है कि कुछ भी करने का मन ही नहीं होता |
दो साल बाद वे फिर मिले | इस बार बी सचमुच दुखी था | उसने कहा कि उसे कई बीमारियों ने पकड़ लिया है | अब वो चाहे भी तो भी कुछ करने में असमर्थ है | इलाज में पैसे खर्च हो रहे हैं | बचाया धन और पेंशन भी उसी पर खर्च करना पड़ रहा है |
दस साल बाद ए को पता चला कि सत्तर साल की उम्र में उसका दोस्त बी दिवंगत हो चुका है |
पचहत्तर साल की उम्र में भी स्वस्थ रहकर ए अपने काम को कर रहा था | इतने सालों से उसे जो पेंशन मिली उसे तो उसने छुआ तक नहीं था |
नोट नंबर 1
ये कोई कहानी नहीं है | ये सच्ची घटना है | तमाम विकसित देशों में काम से रिटायर होने की कोई उम्र ही नहीं है | हाँ , ये जरूर है कि आपको कोई भी काम करने से परहेज़ नहीं होना चाहिए |
कुछ लोग आराम का जीवन बिताते है तो आराम उन्हें बीमार बना देता है और जो लोग अपने शरीर को पहले की तरह काम का अभ्यस्त बनाए रखते हैं वे स्वस्थ भी रहते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत भी बने रहते हैं |
आपकी जीवन शैली तय करती है कि आपका बुढ़ापा कैसा कटेगा |
व्यस्त रहने के लिए दुबारा नौकरी करना भी जरूरी नहीं | बस खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्त रखने के लिए कुछ भी करना चाहिये | बागबानी , घर की साफ़ सफाई , छोटे मोटे घरेलू कामों की जिम्मेदारी लेना , उसे बराबर करना , नियमित भ्रमण , पढ़ना लिखना या कोई भी मनपसंद हॉबी को करना ! सबसे बेहतर तो ये है कि आप ऐसे काम करें कि आप अपने समाज को कुछ लौटा सकें ,समाज सेवा एवँ मानव सेवा सर्वोत्तम है। कुछ ऐसा कि जो आपको आत्मसंतोष भी दे और किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े | समाज से लेने का जो सुख आपको मिला है उसे कृतज्ञतापूर्वक लौटाने का यही सही समय है |
ये सब करके आप स्वस्थ रहेंगे और दवाओं पर पैसे कम से कम खर्च होंगे | इन्हीं पैसों से आप अपने खानपान की क्वालिटी सुधार कर कुछ और भी वर्षों तक सुन्दर जीवन का आनंद उठा सकते हैं |
ये कहावत कितनी सटीक है ....
जीवन शैली और खानपान यदि दवा की जगह ले ले तो दवा की कभी जरूरत ही न पड़े !
नोट नम्बर 2
इस कहानी का पचहत्तर साल का ए नाम का व्यक्ति आज भी साइट पर प्रति सप्ताह चालीस घन्टे ख़ुशी ख़ुशी काम करता है और अच्छे खुशनुमा गर्मी की छुट्टियों वाले जून और जुलाई के महीनों में बाहर घूमने निकल जाता है ! वो अभी अपनी दूसरी पारी जमकर खेल रहा है | पहली पारी में वो पहले ही अच्छा परफार्म कर चुका है । हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनाकर समाज को बहुत कुछ देने का प्रयास करना चाहिये।देश,समाज,धर्म,परिवार ने हमको बहुत कुछ दिया है, उसे हमे समय रहते लौटा देना चाहिये। जो भी दायित्व हमको मिले है उनका ईमानदारी से पालन करना चाहिये।तभी मानव जीवन का सही उद्देश्य पूर्ण होगा। क्यो कि कुछ लेकर नही आये थे,न कुछ लेकर जाना है।यहाँ जो कुछ मिला है,पूरी ईमानदारी से यही वापस भी कर जाना है।ऐसा मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य की श्रेणी में आता है।
साठ साल की उम्र पर दो दोस्त ए और बी एक साथ रिटायर हुए | दोनों ने ही पैंतीस साल तक मेहनत वाले फील्ड जॉब किये थे , पर्याप्त धन कमाए थे और स्वस्थ भी थे |
ए ने कुछ ही महीने में एक दूसरी कम मेहनत की जॉब पकड़ ली | ए ने पहले से ही ये सोच लिया था कि उसे पैसे के लिए नहीं बल्कि खुद को सक्रिय और व्यस्त रखने के लिए कुछ करना है | ए के लिए रिटायर होने का मतलब पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाना नहीं था और इसीलिये ए ने अपने आपको व्यस्त रखने का लाभप्रद उपाय ढूंढ लिया |
कुछ माह बाद दोनों दोस्त कहीं मिले तो पता चला कि बी ने पूरे तौर पर आराम की जिंदगी बिताना पसंद किया है | बी ने ये भी कहा कि अब उसे काम करने की जरूरत ही क्या है ? अच्छी खासी पेंशन भी तो मिलती है !
दो तीन साल के बाद वे फिर मिले तब भी यही स्थिति थी | लेकिन इस बार बी ने एक नयी बात बताई कि अब तो उसकी काम करने की इच्छा ही ख़त्म हो चुकी है | आराम की ऐसी आदत पड़ गयी है कि कुछ भी करने का मन ही नहीं होता |
दो साल बाद वे फिर मिले | इस बार बी सचमुच दुखी था | उसने कहा कि उसे कई बीमारियों ने पकड़ लिया है | अब वो चाहे भी तो भी कुछ करने में असमर्थ है | इलाज में पैसे खर्च हो रहे हैं | बचाया धन और पेंशन भी उसी पर खर्च करना पड़ रहा है |
दस साल बाद ए को पता चला कि सत्तर साल की उम्र में उसका दोस्त बी दिवंगत हो चुका है |
पचहत्तर साल की उम्र में भी स्वस्थ रहकर ए अपने काम को कर रहा था | इतने सालों से उसे जो पेंशन मिली उसे तो उसने छुआ तक नहीं था |
नोट नंबर 1
ये कोई कहानी नहीं है | ये सच्ची घटना है | तमाम विकसित देशों में काम से रिटायर होने की कोई उम्र ही नहीं है | हाँ , ये जरूर है कि आपको कोई भी काम करने से परहेज़ नहीं होना चाहिए |
कुछ लोग आराम का जीवन बिताते है तो आराम उन्हें बीमार बना देता है और जो लोग अपने शरीर को पहले की तरह काम का अभ्यस्त बनाए रखते हैं वे स्वस्थ भी रहते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत भी बने रहते हैं |
आपकी जीवन शैली तय करती है कि आपका बुढ़ापा कैसा कटेगा |
व्यस्त रहने के लिए दुबारा नौकरी करना भी जरूरी नहीं | बस खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से व्यस्त रखने के लिए कुछ भी करना चाहिये | बागबानी , घर की साफ़ सफाई , छोटे मोटे घरेलू कामों की जिम्मेदारी लेना , उसे बराबर करना , नियमित भ्रमण , पढ़ना लिखना या कोई भी मनपसंद हॉबी को करना ! सबसे बेहतर तो ये है कि आप ऐसे काम करें कि आप अपने समाज को कुछ लौटा सकें ,समाज सेवा एवँ मानव सेवा सर्वोत्तम है। कुछ ऐसा कि जो आपको आत्मसंतोष भी दे और किसी के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े | समाज से लेने का जो सुख आपको मिला है उसे कृतज्ञतापूर्वक लौटाने का यही सही समय है |
ये सब करके आप स्वस्थ रहेंगे और दवाओं पर पैसे कम से कम खर्च होंगे | इन्हीं पैसों से आप अपने खानपान की क्वालिटी सुधार कर कुछ और भी वर्षों तक सुन्दर जीवन का आनंद उठा सकते हैं |
ये कहावत कितनी सटीक है ....
जीवन शैली और खानपान यदि दवा की जगह ले ले तो दवा की कभी जरूरत ही न पड़े !
नोट नम्बर 2
इस कहानी का पचहत्तर साल का ए नाम का व्यक्ति आज भी साइट पर प्रति सप्ताह चालीस घन्टे ख़ुशी ख़ुशी काम करता है और अच्छे खुशनुमा गर्मी की छुट्टियों वाले जून और जुलाई के महीनों में बाहर घूमने निकल जाता है ! वो अभी अपनी दूसरी पारी जमकर खेल रहा है | पहली पारी में वो पहले ही अच्छा परफार्म कर चुका है । हम सभी को ऐसी जीवन शैली अपनाकर समाज को बहुत कुछ देने का प्रयास करना चाहिये।देश,समाज,धर्म,परिवार ने हमको बहुत कुछ दिया है, उसे हमे समय रहते लौटा देना चाहिये। जो भी दायित्व हमको मिले है उनका ईमानदारी से पालन करना चाहिये।तभी मानव जीवन का सही उद्देश्य पूर्ण होगा। क्यो कि कुछ लेकर नही आये थे,न कुछ लेकर जाना है।यहाँ जो कुछ मिला है,पूरी ईमानदारी से यही वापस भी कर जाना है।ऐसा मनुष्य ही श्रेष्ठ मनुष्य की श्रेणी में आता है।