उत्क्रष्ट शिक्षा की राह पर निघासन"
| 20 Jan 2016, 12:12 | |||
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मेरे सीने में नहीं तो,तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग लेकिन,आग जलनी चाहिये.
सिर्फ हंगामा खडा करना,मेरा मकसद नहीं,
मेरा मकसद है कि ये,सूरत बदलनी चाहिये.
जनपद लखीमपुर-खीरी के उप जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और ब्लाक निघासन में खंड शिक्षा अधिकारी का कार्यभार देख रहे संजय शुक्ला की निघासन ब्लाक में शुरू की गई मुहिम "उत्क्रश्ट शिक्षा की राह पर निघासन" इन्हीं पंक्तियों से प्रेरित लगती है और वह रंग लाती भी दिख रही है.इसके तहत ब्लाक निघासन के प्राइमरी स्कूलों के 30 हजार बच्चों ने एक साथ चार दिवसीय पाक्षिक परीक्षा में भाग लेकर जिले में इतिहास रच दिया है.
ब्लाक निघासन के परिषदीय स्कूलों की दीवारो पर मोटे-मोटे अक्षरो में लिखा स्लोगन "उत्क्रष्ट शिक्षा की राह पर निघासन" बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है.इससे न केवल बच्चों को प्रेरणा मिल रही है,बल्कि पढाने से जी चुराने वाले शिक्षकों में भी जिम्मेदारी का भाव पैदा हुआ है.इस स्लोगन की कल्पना कर उसे मूर्त रूप देने वाले यहां के युवा और तेजतर्रार खंड शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ला का पहला मकसद भी यही था.परिषदीय स्कूलों के बच्चों को गुड़वत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के अपने जुनून के चलते न केवल वे अपने मकसद में कामयाब होते दिख रहे हैं,बल्कि समाज की सोंच भी अब इन स्कूलों के प्रति बदलने लगी है.खंड शिक्षा अधिकारी की पहल पर हाल ही में यहां के प्राइमरी स्कूलों में चार दिवसीय पाक्षिक परीक्षा का पहली बार अनूठा आयोजन किया गया जिसमें एक साथ लगभग तीस हजार बच्चों ने प्रतिभाग किया.लगभग दो हफ़्ते के शीत-अवकाश के बाद आयोजित इस परीक्षा को लेकर बच्चे भी काफी उत्साहित दिखे.इससे न केवल उनके अब तक के ग्यान की परख हुई, बल्कि अगली विभागीय परीक्षाओ के लिये उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने में भी काफी मदद मिली.खंड शिक्षा अधिकारी संजय शुक्ला बताते हैं किब्लाक निघासन को उत्क्रष्ट शिक्षा की राह पर अग्रसर करने के उनके अभियान में उन्हें यहां के शिक्षकों का पूरा सहयोग मिल रहा है.उनके निर्देश पर चार दिवसीय पाक्षिक परीक्षा का सफलतापूर्वक आयोजन कर शिक्षकों ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है.श्री शुक्ला के मुताबिक इस परीक्षा का एक अलग रजिस्टर पर पूरा रिकार्ड रखा जायेगा.उधर यहां के शिक्षकों और अभिभावकों ने भी खंड शिक्षा अधिकारी के इस अभिनव प्रयोग और्व अनूठी पहल की जमकर सराहना की है.निघासन से शुरू हुई बदलाव की यह बयार आने वाले समय में अन्य व्लाकों के लिये भी प्रेरणाश्रोत बनेगी,ऐसी उम्मीद की जानी चाहिये.किसी ने कहा भी है कि "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती."